स्वयं से प्रोनिंग (Self Proning): सांस लेने में दिक्कत? अपने शरीर के लिए घर पर इस तरीके को आजमाएं

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सेल्फ प्रोनिंग का अर्थ और इसकी आवश्यकता
सेल्फ प्रोनिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें रोगी स्वयं पेट के बल लेट जाता है। यह एक सरल लेकिन प्रभावी तकनीक है जिसका उपयोग सांस की समस्याओं में किया जाता है। इस स्थिति में शरीर को रखने से फेफड़ों का बेहतर उपयोग होता है और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ सकता है।
डॉ अरविंद कुमार, मेदांता अस्पताल के अनुसार, जब हम पेट के बल लेटते हैं, तो हमारे फेफड़ों का पिछला हिस्सा, जो आमतौर पर कम उपयोग में आता है, अधिक सक्रिय हो जाता है। इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बेहतर होता है।
COVID-19 महामारी के दौरान सेल्फ प्रोनिंग की तकनीक विशेष रूप से उपयोगी साबित हुई। भारत में COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान, जब अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी थी, तब सेल्फ प्रोनिंग covid रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण घरेलू उपचार बन गया था। कई चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसकी सिफारिश की थी।
सेल्फ प्रोनिंग: इस तकनीक को करने का सही तरीका
इस सेल्फ प्रोनिंग गाइड में हम आपको बताएंगे कि इसे सही तरीके से कैसे करें। डॉ अरविंद कुमार के अनुसार, सेल्फ प्रोनिंग एक्सरसाइज निम्नलिखित तरीके से की जा सकती हैं:
सही प्रोनिंग पोजीशन के लिए तैयारी:
तकियों का उपयोग: प्रोनिंग के लिए हमें तीन जगहों पर तकिये (पिलो) रखने होंगे:
एक तकिया पैरों की तरफ
दो या तीन तकिये पेल्विस (कूल्हे की हड्डी) के नीचे
एक तकिया छाती (अपर चेस्ट) के नीचे
सही पोजीशन: पेट के बल लेटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पेट बिस्तर पर न दबे। पेट को पूरी तरह से मुक्त रखना आवश्यक है ताकि डायाफ्राम का मूवमेंट प्रभावित न हो। अगर पेट दबा तो डायाफ्राम की गतिविधि प्रभावित होगी जिससे उल्टा प्रभाव आ जाएगा।
पोजीशन की जांच: सही पोजीशन में होने पर, आप एक हाथ पेट और बिस्तर के बीच से आसानी से निकाल सकते हैं। यह एक अहम चीज़ है, इससे सुनिश्चित होता है कि पेट का मूवमेंट (सांस लेने पर) मुक्त है।
समय: इस स्थिति में 30 मिनट से 2 घंटे तक रहें। शुरुआत में कम समय से शुरू करें और धीरे-धीरे बढ़ाएं।
पोजीशन बदलना: अवेक सेल्फ प्रोनिंग में विभिन्न पोजीशन शामिल हैं। आप बारी-बारी से:
पेट के बल (2 घंटे)
बाईं करवट (2 घंटे)
सीधे बैठकर या पीठ के बल (1-2 घंटे): इस स्थिति में सीधे बैठें झुके नहीं और हो सके तो सीधे बैठे हुए हाथ और कंधों की कुछ एक्सरसाइज करें। अगर सीधा बैठना मुश्किल हो तो आगे एक स्टूल रख कर उसका सहारा ले सकते हैं।
दाईं करवट (2 घंटे)
फिर से पेट के बल
इस चक्र को दिन भर में दोहराया जा सकता है।
हाथों और सिर की स्थिति:
आप अपने हाथों की स्थिति को अपनी सुविधा के अनुसार समायोजित कर सकते हैं।
सिर को एक ओर रख सकते हैं या तकिए पर आराम से रख सकते हैं या अपने दोनों हाथों पर रख सकते हैं।
यदि आप ऑक्सीजन मास्क या नेसल कैनुला का उपयोग कर रहे हैं, तो वह भी लगा रह सकता है।
अगर संभव हो और आपका ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल कम ना हो रहा हो तो हाथों के बाल अपनी छाती को ऊपर उठा कर डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज भी कर सकते हैं, और फिर आप प्रोनिंग स्थिति में लेट सकते हैं।
ऐसा जरूरी नहीं है कि हर पोजीशन में आपको आराम मिले। अगर किसी पोजीशन में आपका ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल मिलता है तो उस पोजीशन को आप ज़्यादा कर सकते हैं।
सेल्फ प्रोनिंग दिशा-निर्देश: सावधानियां और सीमाएं
मेदांता अस्पताल द्वारा जारी सेल्फ प्रोनिंग दिशा-निर्देश का पालन करना महत्वपूर्ण है। डॉ अरविंद कुमार बताते हैं कि हालांकि यह तकनीक उपयोगी है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है:
किन लोगों को सेल्फ प्रोनिंग नहीं करना चाहिए:
गर्भवती महिलाएँ: गर्भवती महिलाओं को यह विधि नहीं अपनानी चाहिए।
अधिक वजन वाले व्यक्ति: जिन लोगों का वजन बहुत अधिक है और पेट बड़ा है, उन्हें यह विधि नहीं अपनानी चाहिए क्योंकि कितने भी तकिये लगाने पर भी उनका पेट दब सकता है।
हृदय रोगी: अगर आप हृदय रोगी हैं तो इस विधि का उपयोग न करें।
रीढ़ की हड्डी की समस्या: अगर आपको रीढ़ की हड्डी की कोई समस्या है जैसे स्पॉन्डिलाइटिस या फ्रैक्चर, तो यह विधि न अपनाएं।
हिप बोन का ऑपरेशन: अगर आपका हिप बोन का कोई ऑपरेशन हुआ है, तो इस विधि का उपयोग न करें।
खाना खाने के तुरंत बाद: भोजन के तुरंत बाद यह विधि न अपनाएं, क्योंकि इससे उल्टी की समस्या हो सकती है।
अन्य सावधानियां:
चिकित्सक की सलाह: घर पर सेल्फ प्रोनिंग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें, विशेष रूप से यदि आपको कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है।
निगरानी: यदि संभव हो तो किसी की निगरानी में यह अभ्यास करें, विशेष रूप से शुरुआती दिनों में।
असुविधा: यदि आपको इस स्थिति में असुविधा या दर्द महसूस होता है, तो तुरंत रुक जाएं। कई लोगों को प्रोन पोजीशन में जाने पर खाँसी आ सकती है, कुछ समय के बाद यह आमतौर पर नियंत्रित हो जाती है।
गंभीर स्थिति: यदि आपका ऑक्सीजन स्तर बहुत कम है (94% से कम) या आपको सांस लेने में गंभीर कठिनाई है, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें। सेल्फ प्रोनिंग एक पूरक उपाय है, चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं।
अवेक सेल्फ प्रोनिंग के वैज्ञानिक प्रमाण और शोध
अवेक सेल्फ प्रोनिंग में रोगी जागृत अवस्था में पेट के बल लेटता है। इस तकनीक के प्रभावों पर कई शोध किए गए हैं। डॉ अरविंद कुमार बताते हैं कि वैज्ञानिक शोध से प्रमाणित है कि यह विधि प्रभावी है।
पूरी दुनिया में वेंटिलेटेड मरीजों में इसका इस्तेमाल होता है। अनुसंधान से पता चला है कि तीन-चौथाई से अधिक मरीजों में इससे महत्वपूर्ण लाभ हुआ है। वास्तव में, यह प्रमाणित हुआ है कि यह ICU में मरीजों की मृत्यु दर को कम करता है।
सेल्फ प्रोनिंग का प्रभाव और लाभ
डॉ अरविंद कुमार के अनुसार, सेल्फ प्रोनिंग के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
तत्काल प्रभाव: जैसे ही आप प्रोन पोजीशन में जाते हैं, आधे घंटे के भीतर ही आपके ऑक्सीजन सैचुरेशन में 5 से 10% का सुधार हो सकता है।
ऑक्सीजन की आवश्यकता में कमी: सेल्फ प्रोनिंग से हो सकता है कि आपको ऑक्सीजन की आवश्यकता ही न पड़े, या उसकी मात्रा कम हो जाए।
अस्पताल में भर्ती होने से बचाव: समय पर सेल्फ प्रोनिंग शुरू करने से अस्पताल में भर्ती होने से बचा जा सकता है।
ICU में जाने से बचाव: गंभीर मामलों में, यह ICU में जाने की आवश्यकता को भी कम कर सकता है।
निष्कर्ष
सेल्फ प्रोनिंग एक सरल लेकिन वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित विधि है जो सांस लेने में दिक्कत होने पर मदद कर सकती है। डॉ अरविंद कुमार और मेदांता अस्पताल के अनुसार, यह विशेष रूप से COVID-19 जैसी स्थितियों में उपयोगी है जहां ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है।
डॉ कुमार ने स्पष्ट किया है कि सेल्फ प्रोनिंग कोई जादुई इलाज नहीं है और न ही यह ऑक्सीजन, वेंटिलेटर या ICU देखभाल का विकल्प है। यह एक घरेलू विधि है जो बिना किसी उपकरण या खर्च के आसानी से की जा सकती है और वैज्ञानिक रूप से प्रभावी साबित हुई है।
यह महत्वपूर्ण है कि इस विधि का उपयोग सही तरीके से और उचित सावधानियों के साथ किया जाए। गंभीर लक्षणों के मामले में, हमेशा तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
This blog has been converted from the Youtube video- Self Proning: सांस लेने में दिक्कत? अपने शरीर के लिए घर पर इस तरीके को आजमाएं