सीओपीडी: लक्षण, उपचार और रोकथाम
सीओपीडी, या क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीस फेफड़ों की एक क्रॉनिक बीमारी होती है। इसमें व्यक्ति को साँस लेने तकलीफ़, अतिरिक्त म्यूकस बनना, खांसी, और अन्य समस्याएँ महसूस हो सकती हैं। सीओपीडी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन जीवनशैली में परिवर्तन और दवाओं के माध्यम से इसे कम किया जा सकता है।
सीओपीडी, यानी की क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीस, फेफड़ों की एक क्रॉनिक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों में हवा के प्रवाह को रोकता है। इस स्वास्थ्य स्थिति में, फेफड़ों में सूजन आ जाती है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को साँस लेने में दिक़्क़त, अतिरिक्त म्यूकस बनना, खांसी, और अन्य समस्याएँ होती हैं। यदि इसे सही तरीके से समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो सीओपीडी एक खतरनाक स्थिति होती है जो गंभीर हृदय समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियाँ उत्पन्न कर सकती है।
सीओपीडी जैसे फेफड़ों की बीमारी में तीन मुख्य स्थितियाँ जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, एम्फिसीमा और रिफ्रैक्टरी अस्थमा योगदान करती हैं। एम्फिसीमा एक ऐसी स्थिति है जहां फेफड़ों के ब्रॉंकियोल्स और उनके हवा को बढ़ाने वाले भाग, जिन्हें एल्वियोली कहा जाता है, को क्षति पहुंचती है। इस क्षति के लिए ज़िम्मेदार कारकों में खतरनाक रासायनिक पदार्थों से, औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदूषित धुएँ से, सिगरेट आदि से संबंधित धुएँ से लंबे समय तक संपर्क में रहना शामिल है।
एक और जोखिम भरा रोग होने के बावजूद भी सीओपीडी को उचित प्रबंधन और इलाज के साथ ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, उचित इलाज और जीवनशैली में परिवर्तन द्वारा अन्य फेफड़े के रोग होने या इससे फेफड़ों के कैंसर होने का जोखिम भी काफी कम होता है। यहां हम सीओपीडी के कारण, प्रकार, लक्षण, उपचार और प्रभावी रोकथाम के बारे में और लंबे समय तक फेफड़े को क्षति से बचाने के लिए आवश्यक तरीक़ों के बारे में पता करते हैं।
सीओपीडी के क्या कारण होते हैं?
कई वायु-संबंधित समस्याओं द्वारा व्यक्ति को सीओपीडी हो सकता है। ये समस्याएँ मुख्य रूप से दीर्घकालिक होती हैं और प्रदूषकों के अत्यधिक संपर्क में आने से सीओपीडी या क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीस के होने की संभावना होती है। सीओपीडी के कुछ सामान्य कारणों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
सिगरेट, पाइप और तंबाकू का धूम्रपान सीओपीडी का एक प्रमुख कारक है।
सेकेंडरी धूम्रपान सीओपीडी का एक ओर कारण है जहां आप अन्य धूम्रपानकर्ताओं के पास रहने से और उसका धूम्रपान साँसों में लेने से हो सकता है।
अस्थमा आपके फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम कर सकता है, जिससे सीओपीडी होने की संभावना अधिक होती है।
यदि आप धूल, वायु प्रदूषक और रासायनिक पदार्थों के संपर्क में ज़्यादा समय तक रहते हो, तो फेफड़ों में धीरे-धीरे वायुमार्ग संकुचित होने के कारण सीओपीडी होने की संभावना अधिक होती है।
आयु एक अन्य सीओपीडी का कारक है। उम्र के साथ, फेफड़ों की मांसपेशियों और उनके अंग कमजोर होने लगते हैं, इसलिए सांस लेने में मुश्किलें शुरू हो जाती हैं।
मानव शरीर में मौजूद AAT यानी एल्फा 1 एंटिट्रिप्सिन एक जीन की कमी के कारण सीओपीडी का खतरा होने की संभावना हो सकती है। हालांकि, इस जीन की कमी के कारण सीओपीडी होने की संभावना बहुत कम होती है।
सीओपीडी के कितने प्रकार होते हैं?
सीओपीडी के निम्न मुख्य दो प्रकार होते हैं:
एम्फिसीमा
एम्फिसीमा एक स्थिति है जहां फेफड़ों के एल्वियोली (air sacs) पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके फलस्वरूप साँस लेने योग्य हवा का विनिमय सही तरह से नहीं हो पता। इस क्षति के कारण, एल्वियोली विघटित हो जाते हैं और विस्तार और संकुचन चरण के दौरान ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। हालाँकि, अनुचित विस्तार और संकुचन के कारण हवा फंस जाती है, जो एल्वियोली को और भी अधिक नुकसान होता है।
फेफड़ों में हवा की अतिप्रवाह के कारण, हवा के आदान-प्रदान में दिक़्क़त होती है, जिससे सांस लेने में गंभीर समस्याएँ होती हैं। इसके परिणामस्वरूप, शरीर में ऑक्सीजनयुक्त रक्त की कमी के कारण कई प्रभाव महसूस हो सकते हैं।
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस एक गंभीर बीमारी होती है जहां फेफड़ों की आंतरिक परत और दीवारों में सूजन आ जाती है, जिससे साँस लेने में गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप, फेफड़ों में सूजन और अतिरिक्त म्यूकस इकट्ठा हो जाता है, जो फेफड़ों के वायुमार्गों को अवरुद्ध कर साँस लेने में दिक़्क़त पैदा करता है। इसलिए, साँस लेना ओर मुश्किल हो जाता है।
सीओपीडी के क्या लक्षण हैं?
सीओपीडी एक फेफड़े की स्थिति है जो समय के साथ धीरे-धीरे बनती है और इसके लक्षणों को नोटिस करना कठिन होता है। लक्षण काफ़ी लंबे समय के बाद ही महसूस होते हैं। ये लक्षण तब तक प्रकट नहीं होते हैं जब तक फेफड़े काफी क्षतिग्रस्त नहीं हो जाते हैं।
सीओपीडी के कुछ सामान्य लक्षण निम्न हैं:
बार-बार साँस फूलना और छोटी आना, यह ज्यादातर शारीरिक गतिविधियाँ करते वक़्त या सोते समय होता है।
निरंतर या अत्यधिक व्हीज़िंग, जो नाक या हवा मार्गों के बंद होने के कारण सिटी जैसी आवाज़ जैसा सुनायी देती है।
छाती क्षेत्र में कसाव महसूस होना
लगातार और क्रॉनिक खांसी, जिसे व्हूपिंग कफ भी कहते है। इसमें म्यूकस का अत्यधिक स्राव होता है, जो सफेद, पीला, हरा या काले रंग का हो सकता है।
श्वसन तंत्र में संक्रमण
ऊर्जा की कमी और मतली
लंबे समय तक फेफड़ों की समस्याओं से पीड़ित होने के कारण अचानक में वजन कमी आना
शरीर के विभिन्न जोड़ों में सूजन आना
ये कुछ सीओपीडी के आम लक्षण हैं, सीओपीडी से पीड़ित रोगियों को कभी-कभी लक्षणों में तीव्रता की एक अवधि महसूस हो सकती है। इस अवधि के दौरान, लक्षण दूसरे दिनों की तुलना में अधिक प्रबल और गंभीर होते हैं और कई दिन तक चल सकते हैं।
सीओपीडी के उपचार में क्या तरीक़े शामिल होते हैं?
हालांकि सीओपीडी को पूरी तरह से ठीक करने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन सीओपीडी के उपचार विधियाँ समस्या की तीव्रता को नियमित कर सकती हैं। यह एक बीमारी है जो अन्य जटिलताएँ होने का भी कारण बन सकती है। इसलिए दवाओं और सर्जरी जैसे उपचार इन अतिरिक्त समस्याओं के उपचार में मदद कर सकते हैं।
सीओपीडी के कुछ उपचार निम्न हैं:
चिकित्सा उपचार:
ब्रोंकोडाइलेटर्स को इनहेलर के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है। इनकी मदद से वायुमार्ग साफ हो जाते है।
कोर्टिकोस्टेरॉयड्स दवाएँ फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद करती हैं। इन्हें इन्हेलर या गोलियों के रूप में लिया जा सकता हैं।
दवाओं और कोर्टिकोस्टेरॉयड्स के मिश्रण से बना कम्बिनेशन इनहेलर्स का उपयोग भी किया जा सकता है।
फेफड़ों की संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जा सकता है।
रोफ्लूमिलास्ट या डैलिरेस्प एक दवा है जो PDE4 नामक एंजाइम के स्राव को रोकती है जो COPD सीओपीडी से जुड़े तीव्रताओं का मूल कारण होती है।
फ्लू टीकाकरण से फेफड़ों की बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है।
पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में व्यायाम और रोग प्रबंधन विधियों द्वारा फेफड़ों की समस्याओं को प्रतिबंधित किया जाता है।
सर्जरी
बुलेक्टोमी फेफड़ों से बुले को साफ करने में मदद कर सकती है। इससे एल्वियोली (air sacs) वापस आकार में आ जाती हैं।
लंग वॉल्यूम रीडक्शन सर्जरी फेफड़ों में हुए क्षतिग्रस्त ऊतकों को हटाने में मदद करती है।
लंग ट्रांसप्लांट द्वारा क्षतिग्रस्त फेफड़ों को स्वस्थ फेफड़े से बदल दिया जाता हैं।
सीओपीडी से बचाव कैसे किया जा सकता है?
सीओपीडी से बचाव के कई उपाय उपलब्ध है, लेकिन यह बहुत प्रभावी नहीं होते हैं। लेकिन यह बीमारी के जोखिम को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिनमें से कुछ उपाय निम्न हैं:
धूम्रपान छोड़ें, इससे हृदय और फेफड़ों पर ब्लॉकेज और दबाव कम होता है।
संक्रमणों जैसे फ्लू और न्यूमोनिया, के खिलाफ समय पर टीकाकरण प्राप्त करें।
नियमित रूप से अपने डॉक्टर से सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द, म्यूकस में रक्त आना आदि समस्याओं पर परामर्श करें।
निष्कर्ष
सीओपीडीकोपूरीतरहसेठीकनहींकियाजासकताहै, लेकिनजीवनशैलीमेंपरिवर्तनऔरदवाओंकेमाध्यमसेइसेकमकियाजासकताहै।आपजबबाहरजातेहैंतोमास्कपहनसकतेहैंताकिधूलआपकोअधिकप्रभावितनकरें।एलर्जीऔरछातीऔरनाकमेंखुजलीभीएकऔरसंकेतहै, इसीलिएइनलक्षणोंकाध्यानरखेंऔरमददकेलिएअपनेडॉक्टरसेपरामर्शकरें।