साइबरनाइफ रेडिएशन: कैंसर उपचार की आधुनिक तकनीक

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साइबरनाइफ रेडिएशन एक अत्याधुनिक रोबोटिक रेडियो सर्जरी सिस्टम है। इस प्रणाली में एक मिनिएचराइज्ड लीनियर एक्सीलरेटर का उपयोग किया जाता है, जिसे एक रोबोट पर लगाया जाता है। इस तकनीक की विशेषता यह है कि इसके द्वारा शरीर के किसी भी भाग में सटीक रूप से रेडिएशन दिया जा सकता है।
रेडियो सर्जरी का उपचार प्रक्रिया और समय
रेडियो सर्जरी में रोगी को बेहोश नहीं किया जाता है, जो इसका एक प्रमुख लाभ है। इस उपचार में रोगी पूरी तरह से होश में रहता है, जिससे उपचार के दौरान और बाद में होने वाली जटिलताओं का जोखिम कम हो जाता है।
साइबरनाइफ उपचार प्रक्रिया में एक से पांच सत्रों में पूरा रेडिएशन दिया जाता है। पारंपरिक रेडिएशन थेरेपी की तुलना में साइबरनाइफ उपचार कम समय में पूरा हो जाता है। जहां पारंपरिक रेडिएशन थेरेपी में आमतौर पर 20 से 38 सत्रों की आवश्यकता होती है और रोगी को 5 से 8 हफ्तों तक अस्पताल आना पड़ता है, वहीं साइबरनाइफ उपचार 1 से 1.5 हफ़्ते में पूरा हो जाता है।
साइबरनाइफ उपचार प्रक्रिया में प्रत्येक सत्र लगभग 30 से 45 मिनट का होता है। इस दौरान रोगी आराम से लेटा रहता है और उपचार प्राप्त करता है। उपचार के दौरान रोगी को किसी भी प्रकार की असुविधा या दर्द का अनुभव नहीं होता है।
साइबरनाइफ रेडिएशन के लाभ और फायदे
यह रोबोट अत्यंत सटीकता के साथ शरीर के विभिन्न हिस्सों में रेडिएशन पहुंचा सकता है, जिससे ट्यूमर को लक्षित करते हुए आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाने का जोखिम कम हो जाता है। डॉ. तेजिंदर कटारिया के अनुसार डॉक्टर्स कई बार ट्यूमर के आस पास बहुत कम मार्जिन (कभी 1मिलीमीटर या वो भी नहीं) लेते हैं, इस वजह से रोगी की रिकवरी साथ-साथ होती रहती है। इस वजह से इसको ऑफ़िस ट्रीटमेंट भी कहा गया है। साइबरनाइफ रेडियो सर्जरी में रोगी उपचार के बाद तुरंत अपने कार्यस्थल पर लौट सकते हैं। उपचार के बाद रोगियों में कोई शिथिलता या कमजोरी नहीं आती है, जिससे वे अपनी दैनिक गतिविधियों को बिना किसी रुकावट के जारी रख सकते हैं।
इस उपचार का एक अन्य महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसमें रोगी को बेहोश नहीं किया जाता है। इससे एनेस्थीसिया से जुड़े जोखिमों से बचा जा सकता है और रोगी उपचार के तुरंत बाद घर जा सकता है।
कैंसर उपचार के क्षेत्र में साइबरनाइफ रेडिएशन एक महत्वपूर्ण प्रगति है। यह तकनीक विशेष रूप से उन रोगियों के लिए उपयोगी है जो पारंपरिक सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
साइबरनाइफ रेडिएशन साइड इफेक्ट्स और उनकी रोकथाम
साइबरनाइफ रेडिएशन के दुष्प्रभावों को सावधानीपूर्वक योजना बनाकर रोका जा सकता है। हालांकि, कुछ विशेष स्थितियों में दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि अगर ट्यूमर फूड पाइप, फेफड़े या आंतों के पास हो।
फूड पाइप के पास ट्यूमर होने पर खाना निगलने में कठिनाई, फेफड़े के पास ट्यूमर होने पर सांस लेने में कठिनाई, या आंतों के पास ट्यूमर होने पर दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन डॉ. तेजिंदर कटारिया के अनुसार, उपचार की सावधानीपूर्वक योजना बनाकर इन दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है।
उपचार से पहले विस्तृत प्लानिंग की जाती है, जिसमें इन संभावित दुष्प्रभावों को ध्यान में रखा जाता है। इस प्रकार, रोगी को अधिकतम लाभ प्रदान करते हुए साइड इफेक्ट्स को न्यूनतम रखा जाता है।
निष्कर्ष
साइबरनाइफ रेडिएशन कैंसर उपचार की एक अत्याधुनिक तकनीक है जो रोगियों को कम समय में, कम साइड इफेक्ट्स के साथ, और बेहतर जीवन गुणवत्ता के साथ उपचार प्राप्त करने की अनुमति देती है। मेदांता गुरुग्राम में डॉ. तेजिंदर कटारिया के नेतृत्व में यह उपचार उपलब्ध है, जो कैंसर रोगियों के लिए एक आशाजनक विकल्प प्रदान करता है।
इस तकनीक के माध्यम से, कैंसर उपचार अधिक सटीक, कम आक्रामक और अधिक प्रभावी हो गया है। साइबरनाइफ रेडिएशन न केवल उपचार के परिणामों को बेहतर बनाता है, बल्कि रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है, जो कैंसर उपचार का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
अत्याधिक पूछे जाने वाले सवाल
साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी क्या है?
साइबरनाइफ एक गैर-आक्रामक, रोबोटिक रेडिएशन थेरेपी है जो कैंसरग्रस्त ट्यूमर पर अत्यधिक सटीक, लक्षित विकिरण पहुंचाती है, जिससे आसपास के स्वस्थ ऊतकों को कम से कम नुकसान होता है।
क्या साइबरनाइफ रेडिएशन उपचार दर्दनाक होता है?
नहीं, साइबरनाइफ एक दर्द रहित, आउटपेशेंट प्रक्रिया है जिसके लिए सर्जरी या एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।
साइबरनाइफ रेडिएशन उपचार के लिए कितने सत्रों की आवश्यकता है?
अधिकांशरोगियोंकोट्यूमरकेआकार, स्थानऔरप्रकारकेआधारपर 1 से 5 सत्रोंकीआवश्यकताहोतीहै।
This blog has been converted from the Youtube video- What is CyberKnife Radiation? | Dr. Tejinder Kataria | Medanta Gurugram