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मोतियाबिंद: कारण, लक्षण और उपचार

डॉ. सुदीप्तो पाकरासी, मेदांता मेडिसिटी गुड़गांव, आज मोतियाबिंद के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। मोतियाबिंद एक ऐसी आंख की बीमारी है जो लाखों भारतीयों को प्रभावित करती है। आइए जानें इसके प्रकार, कारण, लक्षण और उपचार के बारे में।

मोतियाबिंद के प्रकार

मोतियाबिंद मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:

  • न्यूक्लियर कैटरैक्ट:

    यह सबसे आम प्रकार है।

    लेंस के बिल्कुल बीच में बनता है।

    इसे अंडे के बीच की पीली जर्दी (योक) के समान समझा जा सकता है।

  • कॉर्टिकल कैटरैक्ट:

    यह लेंस के बाहर से अंदर की ओर बढ़ता है।

  • पोस्टीरियर सब-कैप्सूलर कैटरैक्ट:

    यह लेंस के पीछे की तरफ दिखाई देता है।

इनके अलावा भी कई दुर्लभ प्रकार के मोतियाबिंद होते हैं, लेकिन हम यहां मुख्य रूप से इन तीन आम प्रकारों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

मोतियाबिंद के कारण और जोखिम कारक

मोतियाबिंद कई कारणों से हो सकता है। आइए इन कारणों को समझें:

  • उम्र:

    यह सबसे आम कारण है।

    उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद होने की संभावना बढ़ जाती है।

  • मधुमेह (डायबिटीज):

    मधुमेह के रोगियों में मोतियाबिंद का खतरा अधिक होता है।

    इन रोगियों में यह जल्दी और तेज़ी से विकसित हो सकता है।

  • अत्यधिक धूप का संपर्क:

    विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में यह जोखिम अधिक होता है।

    अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

  • यूवी संरक्षण का अभाव:

    जो लोग धूप का चश्मा नहीं पहनते, उनमें मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है।

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का अत्यधिक उपयोग:

    लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाओं का सेवन मोतियाबिंद का कारण बन सकता है।

  • उच्च रक्तचाप:

    हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों में मोतियाबिंद का खतरा अधिक होता है।

  • चोट:

    आंख में लगी चोट भी मोतियाबिंद का कारण बन सकती है।

मोतियाबिंद के लक्षण

मोतियाबिंद के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  • धुंधली दृष्टि:

    रोशनी की स्पष्टता कम हो जाती है।

    चीजें पहले जितनी साफ नहीं दिखतीं।

  • चश्मे के नंबर में बार-बार बदलाव:

    नंबर बदलने के बावजूद दृष्टि में सुधार नहीं होता।

    नए चश्मे का असर कुछ महीनों तक ही रहता है।

  • दोहरी या बहु-छवियां दिखना:

    एक वस्तु की कई छवियां दिखाई देना।

    इसे ‘घोस्ट इमेज’ भी कहा जाता है।

  • रंगों का बदलाव:

    चीजें पीली-पीली दिखने लगती हैं।

    नीले रंग की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।

  • ग्लेयर या चकाचौंध:

    रोशनी फैलकर दिखाई देती है।

    रात में गाड़ी चलाते समय यह समस्या अधिक होती है।

मोतियाबिंद का निदान

मोतियाबिंद का निदान केवल डॉक्टर ही कर सकते हैं। निदान प्रक्रिया में शामिल हैं:

  • दृष्टि परीक्षण

  • आंख के दबाव का मापन

  • पुतली का विस्तार:

    डॉक्टर आपकी आंख की पुतली को दवा से फैलाते हैं।

  • स्लिट लैंप माइक्रोस्कोप द्वारा जांच:

    यह एक विशेष माइक्रोस्कोप है जो लेंस की जांच करता है।

    इससे मोतियाबिंद की उपस्थिति और गंभीरता का पता चलता है।

मोतियाबिंद का उपचार

मोतियाबिंद का इलाज केवल सर्जरी द्वारा ही संभव है। कोई दवा मोतियाबिंद को ठीक या उलट नहीं सकती।

मोतियाबिंद सर्जरी का विकास

  • प्राचीन काल (2000 ईसा पूर्व):

  • भारत में सुश्रुत ने मोतियाबिंद के इलाज की विधि विकसित की।

  • लेंस को पीछे धकेल दिया जाता था, लेकिन इससे दृष्टि धुंधली रहती थी।

  • 1985 तक:

  • बड़े चीरे से पूरा लेंस निकाला जाता था।

  • इसके बाद मोटा चश्मा लगाना पड़ता था।

  • 1985 के बाद:

  • प्लास्टिक का कृत्रिम लेंस लगाया जाने लगा।

  • लेकिन अभी भी बड़े चीरे की आवश्यकता होती थी।

  • 1993 के आसपास:

  • फैको इमल्सीफिकेशन तकनीक का विकास हुआ।

  • छोटे चीरे से मोतियाबिंद को तोड़कर निकाला जाता था।

  • मुड़ने वाली (फोल्डिंग) लेंस का उपयोग शुरू हुआ।

  • वर्तमान (2000 के बाद):

  • लेजर और रोबोटिक सर्जरी जैसी उन्नत तकनीकें उपलब्ध हैं।

  • बिना चाकू के (ब्लेडलेस) सर्जरी संभव है।

  • फेम्टो लेजर तकनीक का उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष

मोतियाबिंद एक गंभीर आंख की बीमारी है, लेकिन समय पर निदान और उचित उपचार से इसका प्रभावी इलाज संभव है। याद रखें:

  • नियमित आंखों की जांच करवाएं, विशेषकर यदि आप 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।

  • धूप में बाहर निकलते समय UV संरक्षण वाला चश्मा पहनें।

  • मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का नियंत्रण रखें।

  • यदि आपको दृष्टि में कोई समस्या महसूस हो, तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें।

याद रखें, आंखों की देखभाल आपके समग्र स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए सजग रहें और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मोतियाबिंद क्या है?

मोतियाबिंद आंखों की वह स्थिति है जिसमें लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है। यह उम्र, आनुवंशिकता या चोट के कारण हो सकता है।

क्या मोतियाबिंद सर्जरी सुरक्षित है?

हाँ, मोतियाबिंद सर्जरी एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है। यह आमतौर पर 15-30 मिनट में पूरी होती है और अधिकांश मरीजों की दृष्टि में काफ़ी सुधार देखा जाता है।

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद पूरी तरह रिकवर होने में कितना समय लगता है?

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद अधिकांश रोगी कुछ दिनों में सुधार महसूस करने लगते हैं, लेकिन पूरी तरह रिकवर होने में लगभग 4-6 सप्ताह लगते हैं। इस दौरान डॉक्टर की सलाह का पालन करना और आँखों की सही देखभाल करना जरूरी होता है।

This blog has been converted from the Youtube video- मोतियाबिंद: कारण और बचाव | डॉ. सुदीप्तो पकरासी | मेदांता गुरुग्राम

Dr. Sudipto Pakrasi
Ophthalmology
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