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बच्चों में कितने अलग होते हैं डेंगू के लक्षण और इसकी गंभीरता?

बच्चों में कितने अलग होते हैं डेंगू के लक्षण और इसकी गंभीरता?

डेंगू बुख़ार एक गंभीर बीमारी है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलती है। यह बीमारी खासकर मानसून के मौसम में बढ़ती है, जब मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है। बच्चे डेंगू बुख़ार के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए माता-पिता और अभिभावकों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों को इस बीमारी से कैसे बचा सकते हैं।

 

मानसून में डेंगू की समस्या क्यों बढ़ जाती है?

मानसून के दौरान बारिश का पानी जमा होने से मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है। एडीज मच्छर ठहरे हुए पानी में अंडे देते हैं, जिसके कारण उनकी संख्या में तेज़ी से वृद्धि होती है। साथ ही, मानसून के मौसम में उच्च आर्द्रता मच्छरों के जीवन चक्र को भी तेज कर देती है। इसके परिणामस्वरूप, मानसून के दौरान मच्छरों के काटने से डेंगू वायरस के प्रसार की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, वर्षा के मौसम में स्वच्छता और मच्छरों से बचाव की जरूरत होती है।

 

बच्चों में डेंगू का खतरा क्यों बढ़ जाता है?

बच्चे अक्सर बाहर खेलते समय मच्छरों के काटने के शिकार हो जाते हैं। उनकी त्वचा पतली होती है और उनका प्रतिरक्षा तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, और उनकी प्रतिरक्षा शक्ति कमजोर होती है। जिसके कारण वे डेंगू जैसे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

 

बच्चों में डेंगू के क्या लक्षण हो सकते हैं?

डेंगू बुख़ार के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 4 से 10 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। जिसमें शामिल हैं:

• तेज बुख़ार, संभवतः 105°F (40°C) तक

• आँखों के पीछे और सिर में दर्द

• शरीर के अधिकांश भाग पर दाने या चकत्ते निकलना

• जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द

• थकान

• जी मिचलाना और उल्टी

• नाक या मसूड़ों से हल्का रक्तस्राव

• आसानी से नील पड़ना

यदि आप अपने बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण देखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

दुर्लभ मामलों में, डेंगू बुखार अधिक गंभीर बीमारी डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) में परिवर्तित हो सकता है, जो प्राणघातक हो सकता है और इसका तुरंत उपचार करना आवश्यक होता है। डीएचएफ के मुख्य लक्षणों में अधिक गंभीर रक्तस्राव, मतली, उल्टी, गंभीर पेट दर्द, सांस लेने में कठिनाई, निर्जलीकरण, और रक्तचाप में तेज़ी से गिरावट (शॉक) शामिल है।

 

डेंगू का इलाज कैसे किया जाता है?

अभी तक, डेंगू का कोई विशेष इलाज नहीं है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने और रोगी की स्थिति को बेहतर बनाने पर केंद्रित होता है। डॉक्टर आमतौर पर बुख़ार और दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाएँ लिखते हैं। इसके अलावा, रोगी को भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ और आराम करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन वाली दर्द निवारक दवाओं से बचना चाहिए, क्योंकि इनसे रक्तस्राव की संभावना बढ़ सकती है।

 

बच्चों को डेंगू से बचाने के उपाय:

डेंगू से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करें: घर के आसपास जमा पानी को हटा दें और बारिश के पानी के जमाव को रोकें।

मच्छर भगाने वालों उपायों का प्रयोग करें: बच्चों की त्वचा पर मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का उपयोग करें।

मच्छरदानी का उपयोग करें: सोते समय बच्चों को मच्छरदानी का इस्तेमाल कराएं।

पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं: बच्चों को, खासकर शाम के समय, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं।

खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं: मच्छरों को घर में घुसने से रोकने के लिए खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं।

इन उपायों को अपनाकर आप अपने बच्चों को डेंगू के प्रकोप से बचा सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इस बीमारी के प्रति सजग रहें और इसके प्रसार को रोकने के लिए मिलकर प्रयास करें।

 

डेंगू से बचाव के लिए कुछ अतिरिक्त सुझाव:

• बच्चों को घर के अंदर ही रखें, खासकर सूर्यास्त और सूर्योदय के समय जब मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं।

• यदि आपके बच्चे को बाहर जाना ही पड़े, तो उसे पूरी तरह से ढककर रखें, जिसमें टोपी, मोजे और जूते भी शामिल हैं।

• प्राकृतिक मच्छर भगाने वाले उपायों का इस्तेमाल करें, जैसे नीम का तेल, लैवेंडर का तेल या नींबू की गंध।

• वाष्पशील तरल पदार्थ (vaporizer) का उपयोग करें, जिसमें बच्चों के लिए सुरक्षित मच्छर निरोधक रसायन हों।

• मच्छरों को दूर रखने के लिए घर के अंदर तुलसी का पौधा लगाएं।

• यह सुनिश्चित करें कि दरवाजे और खिड़कियाँ ठीक से बंद हों, खासकर रात में।

• अपने आस-पड़ोस को साफ रखें और कचरे को इकट्ठा न होने दें। कूड़ेदानों को हमेशा ढककर रखें।

डेंगू के लक्षणों के प्रति सतर्क रहना महत्वपूर्ण है। यदि आपके बच्चे में तेज बुख़ार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द या अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जल्द से जल्द इलाज शुरू होने से जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है।

डेंगू को रोकने के लिए सिर्फ व्यक्तिगत प्रयास ही काफी नहीं हैं। यह एक सामुदायिक प्रयास है। अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी डेंगू से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करें। पड़ोसियों के साथ मिलकर सामुदायिक सफाई अभियान चलाएं ताकि मच्छरों के पनपने का कोई स्थान न बचे।

 

डेंगू के चेतावनी संकेतों को पहचानें:

कुछ मामलों में, डेंगू गंभीर हो सकता है और डेंगू रक्तस्रावी ज्वर (डेंगू हेमोरेजिक फीवर) का रूप ले सकता है। इसके लक्षणों में तेज बुख़ार के बाद अचानक तापमान कम होना, लगातार उल्टी, मसूड़ों से खून आना, त्वचा पर चकत्ते के साथ खून के धब्बे आदि शामिल हैं। यदि आपको अपने बच्चे में ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो बिना देर किए उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं।

 

निष्कर्ष:

डेंगू से बचाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसके लिए सतर्कता और निरंतर प्रयासों की आवश्यकता होती है। बच्चों को डेंगू से बचाने के लिए माता-पिता को विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए।  इन उपायों को अपनाकर और अपने आसपास के लोगों को जागरूक करके हम डेंगू के प्रकोप को रोक सकते हैं और अपने बच्चों को इस बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं।

Dr. Rajiv Uttam
Paediatric Care
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