फेफड़ों के कैंसर की कितनी स्टेजिस होती हैं
TABLE OF CONTENTS
फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसके विभिन्न चरण होते हैं। मेदांता के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अरविंद कुमार ने फेफड़ों के कैंसर की विभिन्न स्टेजेस के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। आइए जानते हैं कि फेफड़ों के कैंसर की कितनी स्टेजेस होती हैं और प्रत्येक स्टेज की क्या विशेषताएं हैं।
फेफड़ों के कैंसर की चार स्टेजेस
डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर की मोटे तौर पर चार स्टेजेस होती हैं। ये स्टेजेस कैंसर के आकार, स्थान और फैलाव पर आधारित होती हैं।
स्टेज 1: प्रारंभिक अवस्था
स्टेज 1 में, ट्यूमर छोटा होता है और केवल फेफड़े के अंदर तक ही सीमित रहता है। इस अवस्था में, कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला होता है। डॉ. कुमार बताते हैं कि इस स्टेज को हम “स्टेज वन” कहते हैं।
स्टेज 2: स्थानीय विस्तार
स्टेज 2 में, ट्यूमर थोड़ा बड़ा हो जाता है और फेफड़े के आस-पास के क्षेत्रों में फैल जाता है। विशेष रूप से, फेफड़े के अंदर जो ग्रंथियाँ होती हैं, उनमें कैंसर फैल जाता है। डॉ. कुमार इस अवस्था को “स्टेज टू” कहते हैं।
स्टेज 3: क्षेत्रीय फैलाव
स्टेज 3 में, ट्यूमर फेफड़े में और अधिक बड़ा हो जाता है। इस अवस्था में, कैंसर छाती के बीच में स्थित लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाता है, जिन्हें मेडिएस्टाइनल लिम्फ नोड्स कहा जाता है। डॉ. कुमार इस स्टेज को “स्टेज थ्री” कहते हैं।
स्टेज 4: दूरस्थ फैलाव
स्टेज 4 लंग कैंसर की सबसे गंभीर अवस्था है। इस स्टेज में, कैंसर फेफड़ों से बाहर निकलकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। डॉ. कुमार बताते हैं कि इस अवस्था में, कैंसर निम्नलिखित स्थानों पर फैल सकता है:
प्लूरा (फेफड़े के चारों ओर की झिल्ली) में, जिससे छाती में पानी भर जाता है
लीवर (यकृत) में
हड्डियों में
दिमाग में
शरीर के अन्य अंगों में
जब ट्यूमर इस तरह से शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल जाता है, तो उसे “स्टेज फोर” कहा जाता है।
स्टेजिंग का महत्व
डॉ. अरविंद कुमार स्पष्ट करते हैं कि फेफड़ों के कैंसर की स्टेजिंग दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित की जा सकती है:
छाती के अंदर सीमित कैंसर: स्टेज 1, 2 और 3 में, कैंसर मुख्य रूप से छाती के अंदर ही सीमित रहता है।
छाती के बाहर फैला हुआ कैंसर: स्टेज 4 में, कैंसर छाती के बाहर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है।
स्टेजिंग कैसे की जाती है?
फेफड़ों के कैंसर की स्टेज का पता लगाने के लिए विभिन्न जांचों का सहारा लिया जाता है। डॉ. कुमार बताते हैं कि इसके लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं:
सीटी स्कैन: यह छाती के अंदर के अंगों की विस्तृत तस्वीरें प्रदान करता है।
ब्रोंकोस्कोपी: इस प्रक्रिया में, एक विशेष उपकरण का उपयोग करके श्वास नली और फेफड़ों का निरीक्षण किया जाता है।
पीईटी (PET) स्कैन: यह परीक्षण शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर के फैलाव का पता लगाने में मदद करता है।
एमआरआई (MRI): आवश्यकता पड़ने पर, एमआरआई का उपयोग भी किया जा सकता है।
इन सभी जांचों के आधार पर, डॉक्टर लंग कैंसर की स्टेज का निर्धारण करते हैं।
स्टेजिंग का महत्व उपचार में
डॉ. अरविंद कुमार इस बात पर जोर देते हैं कि फेफड़ों के कैंसर की स्टेज का सही निर्धारण करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपचार का तरीका स्टेज के अनुसार ही तय किया जाता है। उनके अनुसार, अगर स्टेज का सही निर्धारण नहीं किया गया, तो उपचार भी सही नहीं हो पाएगा।
डॉ. कुमार कहते हैं:
“स्टेज वन, स्टेज टू, स्टेज थ्री, स्टेज फोर - हर स्टेज का अलग-अलग उपचार होता है। अगर हमने स्टेज डायग्नोस करने में गलती कर ली, तो उपचार भी गलत तरफ जाएगा। इसलिए स्टेजिंग फेफड़ों के कैंसर रोगियों के ट्रीटमेंट का एक बहुत ही खास हिस्सा है।”
निष्कर्ष
फेफड़ों के कैंसर की स्टेजिंग रोग के प्रबंधन और उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर की चार प्रमुख स्टेजेस होती हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएं और उपचार पद्धतियां हैं। सही स्टेजिंग से डॉक्टरों को उचित उपचार योजना बनाने में मदद मिलती है, जिससे रोगी के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
फेफड़ों के कैंसर की कितनी स्टेजेस होती हैं?
फेफड़ों के कैंसर की मोटे तौर पर चार स्टेजेस होती हैं - स्टेज 1, स्टेज 2, स्टेज 3 और स्टेज 4।
स्टेज 1 फेफड़ों का कैंसर क्या होता है?
स्टेज 1 में, ट्यूमर छोटा होता है और केवल फेफड़े के अंदर तक ही सीमित रहता है। इस अवस्था में, कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला होता है।
स्टेज 4 फेफड़ों का कैंसर क्या होता है?
स्टेज 4 फेफड़ों के कैंसर की सबसे गंभीर अवस्था है, जिसमें कैंसर फेफड़ों से बाहर निकलकर शरीर के अन्य हिस्सों जैसे प्लूरा, लीवर, हड्डियों, दिमाग या अन्य अंगों में फैल जाता है।
फेफड़ों के कैंसर की स्टेज का पता कैसे लगाया जाता है?
फेफड़ों के कैंसर की स्टेज का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन, ब्रोंकोस्कोपी, पीईटी स्कैन और आवश्यकता पड़ने पर एमआरआई जैसे परीक्षणों का उपयोग किया जाता है।
स्टेजिंग का उपचार में क्या महत्व है?
स्टेजिंग का उपचार में बहुत महत्व है क्योंकि हर स्टेज का अलग-अलग उपचार होता है। सही स्टेजिंग से डॉक्टरों को उचित उपचार योजना बनाने में मदद मिलती है।
This blog has been converted from the Youtube video- फेफड़ों के कैंसर की कितनी स्टेजिस होती हैं: डॉ. अरविंद कुमार द्वारा विस्तृत जानकारी