फाइब्रोसिस्टिक डिजीज क्या है?

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फाइब्रोसिस्टिक डिजीज वास्तव में कोई गंभीर बीमारी नहीं है। डॉक्टर राजीव अग्रवाल, जो मेदांता द मेडिसिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सीनियर डायरेक्टर ब्रेस्ट सर्विसेस हैं, के अनुसार यह एक ऐसी स्थिति है जिसे अक्सर गलत तरीके से बीमारी समझा जाता है। डॉ. अग्रवाल बताते हैं, “अक्सर मरीज़ हमारे पास रिपोर्ट लेकर आते हैं फाइब्रो सिस्टिक डिजीज, फाइब्रोडिनोसिस। वास्तव में फाइब्रो सिस्टिक डिजीज या फाइब्रोडिनोस स्तनों की कोई बहुत गंभीर बीमारी है ही नहीं।”
वास्तव में, इस स्थिति को अब कई मेडिकल किताबों में “फाइब्रोसिस्टिक चेंजेज इन द ब्रेस्ट” कहा जाता है, क्योंकि यह स्तन में होने वाले सामान्य बदलाव हैं, न कि कोई बीमारी। फाइब्रोसिस्टिक डिजीज एक ऐसी समस्या है जिसका सामना कम से कम 50% महिलाएँ अपने जीवन में किसी न किसी समय करती हैं, विशेष रूप से वे महिलाएँ जिनके पीरियड्स अभी भी सक्रिय हैं (प्री-मेनोपॉजल स्टेज)।
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट डिजीज के लक्षण
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट डिजीज के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
स्तन में दर्द या असुविधा
स्तन में सूजन
स्तन में गांठें
कभी-कभी निप्पल से स्राव
डॉ. राजीव अग्रवाल बताते हैं कि फाइब्रोसिस्टिक चेंजेज की गांठों की एक विशेष खूबी यह है कि वे पीरियड्स के विभिन्न चरणों में अपना आकार बदलती रहती हैं। “मरीज़ अक्सर यह कहते हैं कि पीरियड से पहले बढ़ जाते हैं, पीरियड के बाद कम हो जाते हैं,” डॉ. अग्रवाल बताते हैं।
ब्रेस्ट में सूजन के लक्षण और कारण
ब्रेस्ट में सूजन के लक्षण अक्सर मासिक धर्म चक्र से जुड़े होते हैं। डॉ. अग्रवाल के अनुसार, इन गांठों में पानी की गांठें (सिस्टिक गांठें) होती हैं, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है, और स्तन के ऊतकों में थोड़ी फाइब्रोसिस (रेशेदार ऊतक का विकास) होती है। इसीलिए इन्हें फाइब्रोसिस्टिक चेंजेज कहा जाता है।
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट चेंजेस का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। हालांकि, डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि जिन महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होते हैं, उनमें ये समस्याएं और बदलाव अधिक होते हैं। इससे यह माना जाता है कि हार्मोनल असंतुलन के कारण फाइब्रोसिस्टिक बदलाव ज्यादा होते हैं।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज का निदान
जब कोई मरीज स्तन में दर्द, असुविधा, सूजन, कभी-कभी निप्पल से स्राव, या ऐसी दर्दसहित गांठ जो अपना आकार बदलती रहती है, के साथ डॉक्टर के पास आता है, और ये सभी लक्षण प्री-मेंस्ट्रुअल स्टेज में अधिक होते हैं, तो डॉक्टर उनकी जांच करते हैं।
डॉ. राजीव अग्रवाल के अनुसार, अगर मरीज की उम्र 40 वर्ष से कम है, तो पहली जांच अल्ट्रासाउंड होती है। अगर उम्र 40 वर्ष से अधिक है, तो पहली जांच मैमोग्राम होती है, और अक्सर साथ में अल्ट्रासाउंड भी करना पड़ता है।
“अगर ब्रेस्ट में और कोई और असामान्यता नहीं है, सिर्फ पतली झिल्ली वाली, तरल पदार्थों से भरी सिस्ट है या थोड़ी बहुत सूजन है, तो हम मरीज़ को आश्वस्त करते हैं कि यह फाइब्रोसिस्टिक परिवर्तन हैं और इनसे कोई घबराने की जरूरत नहीं है,” डॉ. अग्रवाल बताते हैं।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज के उपचार
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज के उपचार के विकल्प लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। डॉ. राजीव अग्रवाल इस बारे में विस्तार से बताते हैं:
हल्के लक्षणों के लिए:
“हल्के लक्षणों को फाइब्रो सिस्टिक चेंजेज के साथ ट्रीटमेंट की कोई खास जरूरत नहीं होती है,” डॉ. अग्रवाल कहते हैं। इस स्थिति में:
मरीज को आश्वस्त करना
थोड़ा सा हॉट फोमेंटेशन (गर्म सेंक)
सपोर्टिव ब्रा पहनने की सलाह
मध्यम लक्षणों के लिए:
“अगर रोगी में मध्यम लक्षण हैं तो हम उनको दर्द-रोधी दवा दे सकते हैं जब जरूरत हो तभी,” डॉ. अग्रवाल बताते हैं। यानी दर्द होने पर दर्द निवारक दवाएँ ली जा सकती हैं।
गंभीर लक्षणों के लिए:
“अगर दर्द थोड़ा गंभीर है और पूरे महीने चलता है तब कुछ हार्मोनल ट्रीटमेंट इन मरीजों को दिए जाते हैं,” डॉ. अग्रवाल कहते हैं। इनमें शामिल हैं:
गर्भ निरोधक दवाएँ, जो लक्षणों को बेहतर बनाती हैं
डेनाजॉल नामक दवा, जिसे 50 से 100 मिलीग्राम प्रतिदिन की खुराक में देने से मरीजों के लक्षणों में राहत मिल सकती है
महत्वपूर्ण सावधानी
डॉ. राजीव अग्रवाल एक महत्वपूर्ण सावधानी बरतने की सलाह देते हैं: “एक वर्ड ऑफ कॉशन यह है कि बिना किसी जांच के किसी भी मरीज़ को फाइबो एडिनोसिस या फाइब्रो सिस्टिक डिजीज या फाइब्रो सिस्टिक चेंजेज कह कर नहीं छोड़ना चाहिए।” क्योंकि अगर स्तन में इनके अलावा कोई संदिग्ध असामान्यता है, तो उसकी जांच करनी चाहिए, और जरूरत पड़ने पर बायोप्सी भी करानी चाहिए। मरीज को झूठा आश्वासन नहीं देना चाहिए।
लेकिन अगर शुद्ध फाइब्रोसिस्टिक चेंजेज हैं, तो उनसे घबराने की जरूरत नहीं है। इन्हें कभी-कभी “सामान्य शारीरिक प्रक्रिया का एक हिस्सा” भी कहा जाता है, इसलिए घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि, किसी भी लक्षण का उचित निदान करवाना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज वास्तव में कोई गंभीर बीमारी नहीं है, बल्कि स्तन में होने वाले सामान्य बदलाव हैं जो कई महिलाओं में देखे जाते हैं। सही निदान और उचित उपचार से इसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है। डॉ राजीव अग्रवाल की सलाह है कि इससे घबराने की बजाय, सही जानकारी प्राप्त करें और आवश्यकतानुसार चिकित्सकीय सलाह लें।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या फाइब्रोसिस्टिक डिजीज वास्तव में एक बीमारी है?
नहीं, फाइब्रोसिस्टिक डिजीज वास्तव में कोई बीमारी नहीं है। डॉ. राजीव अग्रवाल के अनुसार, यह स्तन में होने वाले सामान्य बदलाव हैं। इसीलिए आधुनिक चिकित्सा किताबों में इसे "फाइब्रो सिस्टिक चेंजेज इन द ब्रेस्ट" कहा जाता है।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज किन महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है?
यह मुख्य रूप से प्री-मेनोपॉजल महिलाओं को प्रभावित करती है, जिनके पीरियड्स अभी भी सक्रिय हैं। कम से कम 50% महिलाएँ अपने जीवन में किसी न किसी चरण पर इससे प्रभावित होती हैं।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज के मुख्य लक्षण क्या हैं?
इसके मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
स्तन में दर्द या असुविधा
स्तन में सूजन
स्तन में गांठें जो पीरियड्स के अलग-अलग चरणों में आकार बदलती हैं
कभी-कभी निप्पल से स्राव
फाइब्रोसिस्टिक चेंजेज की गांठों की क्या विशेषता है?
इन गांठों की मुख्य विशेषता यह है कि वे पीरियड्स के विभिन्न चरणों में अपना आकार बदलती रहती हैं। आमतौर पर, पीरियड्स से पहले ये गांठें बड़ी हो जाती हैं और पीरियड्स के बाद छोटी हो जाती हैं। इनमें पानी की गांठें (सिस्टिक गांठें) होती हैं, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है, और स्तन के ऊतकों में थोड़ी फाइब्रोसिस होती है।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज का कारण क्या है?
इस स्थिति का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। अधिकांश मरीजों में, डॉक्टर इसका कोई विशिष्ट कारण नहीं पाते हैं। हालांकि, जिन महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होते हैं, उनमें ये समस्याएं और बदलाव अधिक होते हैं। इसलिए यह माना जाता है कि हार्मोनल असंतुलन के कारण फाइब्रो सिस्टिक चेंजेज ज्यादा होते हैं।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज का निदान कैसे किया जाता है?
जब कोई मरीज स्तन में दर्द, असुविधा, सूजन, कभी-कभी निप्पल से स्राव, या ऐसी गांठ जो अपना आकार बदलती रहती है, के साथ डॉक्टर के पास आता है, तो डॉक्टर उनकी जांच करते हैं। डॉ. राजीव अग्रवाल के अनुसार:
40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए - पहली जांच अल्ट्रासाउंड
40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए - पहली जांच मैमोग्राम, और अक्सर साथ में अल्ट्रासाउंड
क्या फाइब्रोसिस्टिक डिजीज का इलाज संभव है?
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज के उपचार के विकल्प लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करते हैं:
हल्के लक्षणों के लिए: मरीज को आश्वस्त करना, थोड़ा गर्म सेंक देना, और सपोर्टिव ब्रा पहनने की सलाह
मध्यम लक्षणों के लिए: दर्द निवारक दवाएँ, जिन्हें आवश्यकतानुसार लिया जा सकता है
गंभीर लक्षणों के लिए: हार्मोनल उपचार जैसे गर्भ निरोधक दवाएँ या डेनाजोल (50-100 मिलीग्राम प्रतिदिन)
क्या फाइब्रोसिस्टिक डिजीज स्तन कैंसर का संकेत हो सकती है?
नहीं, फाइब्रोसिस्टिक चेंजेज आम तौर पर स्तन कैंसर का संकेत नहीं होते हैं। हालांकि, डॉ. अग्रवाल चेतावनी देते हैं कि बिना उचित जांच के किसी भी स्थिति को फाइब्रोसिस्टिक चेंजेज नहीं माना जाना चाहिए। अगर स्तन में कोई संदिग्ध असामान्यता है, तो उसकी जांच करनी चाहिए और आवश्यक होने पर बायोप्सी भी करानी चाहिए।
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज से पीड़ित महिलाओं को किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
फाइब्रोसिस्टिक डिजीज से पीड़ित महिलाओं को निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:
नियमित चिकित्सकीय जांच करवाएं
लक्षणों में कोई भी असामान्य बदलाव होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें
डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचारों का पालन करें
सपोर्टिव ब्रा पहनें
स्व-परीक्षण करना सीखें और नियमित रूप से करें
This blog has been converted from the Youtube video- फाइब्रोसिस्टिक डिजीज | डॉ राजीव अग्रवाल | मेदांता गुरुग्राम