किडनी खराब होने के मुख्य लक्षण जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए
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दुनिया भर में कई लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें किडनी की बीमारी हैं और अधिकांश को इसके बारे में पता नहीं है। गुर्दे या किडनी की समस्या के कई शारीरिक लक्षण होते हैं, लेकिन कभी-कभी लोग उन्हें अन्य बीमारियों से संबंधित मान लेते हैं। इसके साथ-साथ किडनी की बीमारी वाले लोगों को अंतिम चरण तक लक्षणों का अनुभव नहीं होता है। किडनी हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। वे खून साफ करने, इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखने, और रक्तचाप को नियंत्रित करने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों में अहम भूमिका निभाती हैं।
कई बीमारियाँ या स्थितियाँ किडनी को प्रभावित कर सकती हैं, जिनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मूत्रमार्ग संक्रमण शामिल हैं। यदि किडनी ठीक से काम नहीं करती हैं, या किडनी कमजोर पड़ने लगती हैं तो आपका शरीर विभिन्न तरीकों से चेतावनी देता है। इन चेतावनी संकेतों को पहचानना और जल्दी कार्रवाई करना किडनी को होने वाले दीर्घकालिक नुकसान को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किडनी खराब होने के कुछ शुरुआती चेतावनी लक्षणों में शामिल हैं:
थकान और कमजोरी: किडनी की कार्यप्रणाली में ख़राबी आने से रक्त में विषाक्त और अपशिष्ट पदार्थों का जमाव होने लग जाता है, जिससे लोगों को थकान, कमजोरी महसूस हो सकती है और ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है।
पेशाब संबंधी समस्याएँ: स्वस्थ किडनी रक्त को छानकर पेशाब का उत्पादन करती हैं। परंतु जब किडनी कमजोर या ख़राब हो जाती हैं, तो वे अपशिष्ट पदार्थों को उचित रूप से फ़िल्टर नहीं कर पाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेशाब की मात्रा कम हो सकती है। रात में बार-बार पेशाब आना एक आम स्थिति है, लेकिन दिन में पेशाब की मात्रा में उल्लेखनीय कमी होना एक चिंता का विषय है।
मूत्र के रंग और गंध में परिवर्तन और झाग दिखना: सामान्यतः पेशाब का रंग हल्का पीला होता है। परंतु पेशाब का रंग गहरा पीला, भूरा, गुलाबी या लाल हो जाता है, तो यह किडनी में रक्तस्राव या संक्रमण का संकेत हो सकता है। यह ध्यान रखें कि कुछ खाद्य पदार्थ और दवाएँ भी मूत्र के रंग को बदल सकती हैं, इसलिए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूरी है। मूत्र में तेज गंध और झाग दिखना भी असामान्य है और किडनी की किसी समस्या का संकेत हो सकता है।
शरीर में सूजन आना: शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को बाहर निकालना भी किडनी का एक अहम कार्य होता है। जब किडनी की कार्यक्षमता में रुकावट या गिरावट आती है तब यह अतिरिक्त तरल, प्रोटीन, और सोडियम शरीर कि विभिन्न हिस्सों में जमा होने लग जाता है। यह अक्सर आंखों के आसपास, टखनों, पैरों, हाथों या चेहरे में सूजन के रूप में दिखाई देता है।
शुष्क और खुजलीदार त्वचा: स्वस्थ किडनी शरीर में आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। जब किडनी कमजोर हो जाती है, तो इनका संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे त्वचा शुष्क, खुजलीदार और अस्वस्थ हो सकती है।
नींद संबंधी समस्याएँ: विभिन्न शोध के अनुसार जिन व्यक्तियों में किडनी ख़राब होती है, या अंतिम स्टेज की क्रॉनिक डिजीस होती हैं, उनमें नींद संबंधी समस्याएँ, जैसे रात को बार-बार नींद टूटना, नींद ना आना, और खराब गुणवत्ता वाली नींद आम हैं।
साँस फूलना: किडनी ख़राब होने पर अतिरिक्त तरल फेफड़ों में इकट्ठा होने लगता है, जिससे बिना किसी गंभीर मेहनत के भी साँस फूलने लग जाती है। इसके साथ-साथ, किडनी की बीमारियों के कारण उत्पन्न एनीमिया (ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
मांसपेशियों में बार-बार ऐंठन आना: किडनी ख़राब होने पर इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है। उदाहरण के लिए, कैल्शियम स्तर में कमी और फ़ॉस्फ़ोरस के स्तर में असंतुलन मांसपेशियों में ऐंठन आने का कारण हो सकता है।
पेट खराब, मतली, या उल्टी: किडनी की कार्यक्षमता में कमी आने पर रक्त में अपशिष्ट पदार्थों का गंभीर संचय भूख ना लगना, मतली और उल्टी का कारण बन सकता है। भूख न लगने से वजन कम हो सकता है।
उलझन और स्पष्ट रूप से सोचने में परेशानी: किडनी की ख़राबी से संबंधित एनीमिया के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। इससे याददाश्त संबंधी समस्याएँ या एकाग्रता में परेशानी हो सकती है।
यदि आपको ऊपर बताए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है। किडनी की बीमारी का जल्दी पता लगाने और तुरंत उपचार करने से किडनी की क्षति को रोकने और किडनी फेलियर से बचने में मदद मिल सकती है।
किडनी की बीमारी से बचाव:
किडनी की बीमारी से बचाव के लिए आप अपनी दिनचर्या में निम्नलिखित टिप्स अपना सकते हैं:
स्वस्थ आहार का सेवन: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन से भरपूर आहार को अपने दैनिक जीवन में अहम स्थान दें। नमक, चीनी और संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।
नियमित व्यायाम: हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करने की आदत अपनायें।
स्वस्थ वजन बनाए: यदि आप अधिक वजन वाले या मोटे हैं, तो वजन कम करने से किडनी की बीमारी के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
धूम्रपान और शराब छोड़ें: धूम्रपान और शराब किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, और किडनी की बीमारी के खतरे को बढ़ा सकते हैं।