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Anaemia

एनीमिया से मुकाबला: जागरूकता सही दिशा में उठाया गया एक कदम है

 प्रजनन आयु वाली महिलाओं में से एक तिहाई से अधिक और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं (विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटा के अनुसार)। एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या और हीमोग्लोबिन की सांद्रता कम हो जाती है। असमान्य हीमोग्लोबिन भी उपस्थित हो सकता है। लाल रक्त कोशिकाएँ (आरबीसी) हमारे रक्त में मौजूद विशेष कोशिकाएँ होती हैं और इनमें एक हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन मौजूद होता है। आरबीसी में मौजूद यह हीमोग्लोबिन इन आरबीसी को फेफड़ों में ऑक्सीजन से जोड़ता है। इस प्रकार, रक्त यह ऑक्सीजन फेफड़ों से शरीर के सभी हिस्सों को पहुँचाता है। आरबीसी की संख्या या हीमोग्लोबिन में कमी और हीमोग्लोबिन में असमान्यता किसी भी क्षेत्र में ऑक्सीजन लेने की क्षमता को कम करती है और इसके परिणामस्वरूप विभिन्न महत्वपूर्ण शारीरिक ऊतकों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है।

एनीमिया के प्रकार

अंतर्निहित कारणों के आधार पर एनीमिया को निम्नलिखित प्रकारों में बाँटा जा सकता है:

  • विटामिन की कमी से होने वाला (vitamin deficiency) एनीमिया: यह आपके शरीर में विटामिन बी12 और फोलेट की कमी के कारण उत्पन्न होता है। ये विटामिन आरबीसी का एक आवश्यक घटक हैं और इन विटामिन की कमी इस एनीमिया का कारण बनती है। सामान्य एनीमिया के लक्षणों के अलावा, इस एनीमिया में अन्य लक्षण जैसे जीभ और मुँह में दर्द और नाखून, त्वचा या बालों में रंग के परिवर्तन भी देखे जाते हैं।
  • आयरन की कमी से होने वाला (Iron deficiency) एनीमिया: यह सबसे आम प्रकार का एनीमिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट (2007) के अनुसार, सभी प्रकार के एनीमिया में से 50% आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया होता है। यह शरीर में आयरन की कमी के कारण होता है। आयरन की यह कमी आपके आहार में आयरन की मात्रा में कमी या आयरन के बढ़ते अवशोषण के कारण हो सकती है, जैसे पूर्ववत शल्यक्रिया या इरेटेबल बोवेल रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं में देखी जा सकती है। इसके अलावा, जब भारी रक्तस्राव होता है, तब भी यह दिखा जा सकता है।
  • पुराना एनीमिया (chronic anemia): इस एनीमिया को पुरानी बीमारियों से जुड़ा हुआ माना जाता है। कुछ सामान्य पुरानी स्थितियाँ जो क्रॉनिक एनीमिया का कारण बन सकती हैं निम्नलिखित हैं:
  • कैंसर
  • ऑटोइम्यून रोग
  • क्रॉनिक किडनी रोग
  • संक्रमण जैसे एचआईवी या तपेदिक (tuberculosis)
  • हेमोलिटिक एनीमिया: अस्थि मज्जा द्वारा उत्पन्न आरबीसी का औसत जीवनकाल 100-120 दिनों का होता है, इसके बाद यें नष्ट हो जाती हैं। इसीलिए, आरबीसी की उत्पत्ति और नष्ट होने में एक संतुलन बना रहता है। कभी-कभी इन आरबीसी का विनाश तेज गति से होता है जिसके परिणामस्वरूप रक्त परिसंचरण में लाल कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है जिससे एनीमिया होता है।
  • इडियोपैथिक अप्लास्टिक एनीमिया: यह एक क्लिनिकल स्थिति है जिसमें अस्थि मज्जा द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में दोष होता है। यह कीमोथेरेपी या रेडिएशन की जटिलता के रूप में हो सकता है। इसके अलावा, कुछ ऑटोइम्यून स्थितियाँ भी इसके होने का कारण बन सकती हैं।
  • मेगालोब्लास्टिक एनीमिया: यह एक विशिष्ट प्रकार का एनीमिया है जिसमें अस्थि मज्जा अपरिपक्व और संरचनात्मक रूप से असामान्य और सामान्य से बड़े आकार की आरबीसी उत्पन्न करता है जो ऑक्सीजन को प्रभावी ढंग से ले जाने में असमर्थ होती हैं।
  • सिकल सेल एनीमिया: यह एक आनुवंशिक विकार है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है। इस स्थिति में, रक्त में मौजूद आरबीसी असामान्य और दरांती (सिकल) आकार की होती हैं जो आसानी से टूट जाती हैं जिससे रक्त में आरबीसी की संख्या कम हो जाती है। 
  • थैलेसीमिया: ये भी विशिष्ट प्रकार के रक्त विकार हैं जो व्यक्ति को विरासत में मिलते हैं। इसकी मुख्य विशेषता हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं की कम मात्रा है।

एनीमिया के लक्षण

एनीमिया के सबसे सामान्य लक्षण वे हैं जो  जो शरीर के महत्वपूर्ण ऊतकों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण उत्पन्न होते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:

  • थकान
  • कमजोरी
  • चक्कर आना 
  • सिरदर्द
  • सांस लेने में दिक़्क़त 
  • त्वचा, मुँह, या नाखून का पीला होना 
  • हाथ और पैर का ठंडा पड़ना 
  • तेज या अनियमित धड़कन
  • सीने में दर्द

एनीमिया का निदान 

एनीमिया का प्रारंभिक निदान आपके चिकित्सा इतिहास, लक्षण, संकेत, और शारीरिक परीक्षण के साथ किया जाता है। पारिवारिक इतिहास भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के निदान में मदद करता है। एक बार प्रारंभिक निदान के निश्चित होने के बाद डॉक्टर निदान की पुष्टि के लिए अतिरिक्त परीक्षण करने की सलाह दे सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी): सीबीसी रक्त परीक्षण आपके रुधिर में हीमोग्लोबिन स्तर और लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा और आकार को निर्धारित करता है।
  • रेटिक्युलोसाइट गणना: यह आपके डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि आपकी अस्थि मज्जा पर्याप्त नई लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कर रही है या नहीं।
  • सीरम आयरन स्तर: इस परीक्षण का उपयोग शरीर में आयरन के स्तर की जाँच करने के लिए किया जाता है और एनीमिया के कारण के रूप में आयरन की कमी की पहचान करने में उपयोग होता है।
  • विटामिन बी12 और फोलिक एसिड टेस्ट: यह आपके शरीर में विटामिन बी12 और फोलेट के स्तर को मापता है और आपके डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि ये स्तर बहुत नीचे तो नहीं हैं।
  • कॉम्ब्स परीक्षण: इस जाँच का उपयोग शरीर में ऑटोएंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है जो आपके लाल रक्त कोशिकाओं को लक्षित और नष्ट कर रहे हैं।
  • अस्थि मज्जा परीक्षण: एक अस्थि मज्जा एस्पिरेट या बायोप्सी का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि आपकी हड्डी स्वस्थ है या नहीं।

एनीमिया का इलाज: सही एनीमिया प्रकार का सही इलाज

एनीमिया का इलाज इसके प्रकार और इसके अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। चिकित्सक द्वारा सुझाए गए कुछ सामान्य उपचार योजनाएँ निम्नलिखित हैं:

  • अंतर्निहित बीमारी का उपचार: कुछ प्रकार की एनीमिया की वजह कई अंतर्निहित बीमारियाँ होती हैं। इन क्रोनिक स्थितियों के इलाज से एनीमिया को प्रबंधित करने में मदद मिलती है।
  • आहार और पोषक सप्लीमेंट्स: आयरन, विटामिन बी12, और फोलिक एसिड की कमी से होने वाली एनीमिया को पोषण सप्लीमेंट्स की सलाह देकर प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। आपके डॉक्टर और पोषण विशेषज्ञ आपके लिए एक विशिष्ट आहार योजना बनाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं जो इन विटामिन और खनिजों से भरपूर हो।
  • औषधि चिकित्सा: आपके डॉक्टर अस्थि मज्जा में आरबीसी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एरिथ्रोपोइटिन की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबाने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स और अन्य एजेंट्स का सुझाव भी दे सकते हैं।
  • रक्त आधान (Blood Transfusion): गंभीर मामलों में, आपके डॉक्टर खून चढ़ाने की सलाह भी दे सकते हैं। 

निष्कर्ष 

अगर समय पर इलाज न किया जाए तो एनीमिया से गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। इसलिए, यदि आप एनीमिया के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरत किसी डॉक्टर से परामर्श लें। आपका डॉक्टर आपको उचित निदान देने, कारण निर्धारित करने और आपके लिए सर्वोत्तम उपचार योजना बनाने में सक्षम होगा।

Dr. Sushila Kataria
Internal Medicine
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