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इसोफेजियल कैंसर के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

इसोफेजियल कैंसर, जिसे फूड पाइप या ग्रासनली या अन्नप्रणाली का कैंसर भी कहा जाता है, एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। मेदांता के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अरविंद कुमार ने इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। आइए जानते हैं इसोफेजियल कैंसर के बारे में विस्तार से।

फूड पाइप कैंसर की बढ़ती प्रवृत्ति

डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, फूड पाइप यानि इसोफेगस का कैंसर पिछले कुछ वर्षों में अधिक देखा जा रहा है। यह केवल अधिक मामलों की बात नहीं है, बल्कि इसकी प्रवृत्ति में भी बदलाव आया है। पहले जहां यह बीमारी मुख्य रूप से 50 और 60 वर्ष की आयु के लोगों में देखी जाती थी, वहीं अब यह युवा वयस्कों में भी पाई जा रही है।

इसोफेजियल कैंसर आयु समूह में बदलाव

डॉ. कुमार बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने और उनके सहयोगियों ने 30 और 40 वर्ष की आयु के लोगों में भी ग्रासनली के कैंसर के बढ़ते मामले देखे हैं। यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है जो इस बीमारी के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

इसोफेजियल कैंसर के प्रमुख कारण

डॉ. अरविंद कुमार स्पष्ट करते हैं कि धूम्रपान ग्रासनली के कैंसर का एक प्रमुख कारण है। हालांकि अन्य कारण भी हो सकते हैं, लेकिन उनकी भूमिका तुलनात्मक रूप से कम महत्वपूर्ण है। धूम्रपान को इसोफेजियल कैंसर के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार माना जाता है।

इसोफेजियल कैंसर के लक्षण और प्रगति

इस कैंसर में रोगी को खाना खाने में कठिनाई होने लगती है। डॉ. कुमार बताते हैं कि शुरुआत में यह समस्या मुख्य रूप से ठोस खाद्य पदार्थों के साथ होती है, जबकि तरल पदार्थों को निगलने में कम कठिनाई होती है।

हालांकि, जैसे-जैसे कैंसर का आकार बढ़ता है और फूड पाइप के अंदर फैलता है, बाद में तरल पदार्थों को निगलने में भी समस्या होने लगती है। अंततः, एक ऐसा स्तर आ जाता है जब कोई भी खाद्य पदार्थ ग्रासनली प से नहीं गुजर पाता और वहां फंस जाता है।

एस्पिरेशन के परिणामस्वरूप जटिलताएं

डॉ. अरविंद कुमार एक गंभीर जटिलता के बारे में भी बताते हैं। कभी-कभी कैंसर ग्रासनली की दीवार से बाहर निकल जाता है और श्वास नली (विंड पाइप) के साथ संपर्क स्थापित कर लेता है। ऐसी स्थिति में, खाना खाते समय रोगी को तेज खांसी आ सकती है।

इस स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में “एस्पिरेशन” कहा जाता है, जिसका अर्थ है खाद्य पदार्थों का श्वास नली में प्रवेश करना। यह एक गंभीर स्थिति है जो अतिरिक्त जटिलताओं का कारण बन सकती है।

डॉ. अरविंद कुमार द्वारा दी गई यह जानकारी इसोफेजियल कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करती है। धूम्रपान से बचकर और शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर, इस गंभीर बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इसोफेजियल कैंसर क्या है?

इसोफेजियल कैंसर ग्रासनली में होने वाला कैंसर है, जिसे इसोफेगस भी कहा जाता है।

क्या इसोफेजियल कैंसर युवा लोगों को भी प्रभावित कर सकता है?

हां, डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में 30 और 40 वर्ष की आयु के लोगों में भी इसोफेजियल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।

इसोफेजियल कैंसर का प्रमुख कारण क्या है?

धूम्रपान इसोफेजियल कैंसर का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है।

इसोफेजियल कैंसर के प्रारंभिक लक्षण क्या हैं?

प्रारंभिक लक्षणों में ठोस खाद्य पदार्थों को निगलने में कठिनाई शामिल है, जबकि तरल पदार्थों को निगलने में कम समस्या होती है।

This blog has been converted from the Youtube video- इसोफेजियल कैंसर के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं - अरविंद कुमार | मेदांता

Dr. Arvind Kumar
Lung Transplant
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