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अस्थमा के बारे में मिथक और तथ्य

अस्थमा एक श्वसन संबंधी समस्या है जो बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकती है। आम शब्दों में, अस्थमा को आमतौर पर फेफड़ों की बीमारी माना जाता है जिसके कारण वायुमार्ग संकीर्ण हो जाता है और सूजन आ जाती है। इसके अलावा, अस्थमा के ट्रिगर कारक भी वायुमार्ग में सूजन का कारण बनते हैं, जिससे अधिक मात्रा में बलगम पैदा होती है, जो सांस लेने में कठिनाई के लिए जिम्मेदार होते हैं। 


मिथक: अस्थमा के लक्षण हर किसी मरीज़ में एक जैसे ही होते हैं

तथ्य: हर किसी में अस्थमा के लक्षण अलग-अलग रूप में दिखाई दे सकते हैं। कुछ लोगों को छाती में जकड़न, घरघराहट, खांसी या थकान जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इन लक्षणों को ध्यान में रखकर आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अस्थमा के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। मरीज की अस्थमा की स्थिति को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने के लिए डॉक्टर द्वारा व्यक्ति पर इसके असर के अनुसार उपचार दिया जाना चाहिए।


मिथक: अस्थमा के लक्षण वाले लोगों को व्यायाम नहीं करना चाहिए

तथ्य: आम तौर पर लोग सोचते हैं कि व्यायाम और कसरत अस्थमा को बढ़ाते हैं, लेकिन वास्तव में नियमित व्यायाम अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए काफ़ी फायदेमंद सिद्ध होता है। व्यायाम फेफड़ों की कार्यक्षमता बेहतर और मजबूत बनाता है। व्यायाम वजन को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है, जो अस्थमा को प्रबंधित करने में कारगर है।

कुछ मामलों में, व्यायाम अस्थमा को ट्रिगर कर सकता है, लेकिन डॉक्टर आमतौर पर ऐसे रोगियों को सलाह देते हैं कि वे कसरत से पहले एल्ब्युटेरोल का इस्तेमाल करें और कसरत के दौरान इसे अपने साथ रखने का भी सुझाव देते हैं। साथ ही, शारीरिक गतिविधियों को शुरू करने और समाप्त करने से पहले हल्के वार्म-अप और कूल-डाउन सत्रों का सुझाव दिया जाता है।


मिथक: अस्थमा कभी जानलेवा नहीं हो सकता

तथ्य: हालांकि अस्थमा से होने वाली मौतें दुर्लभ हैं, परंतु यह एक दीर्घकालिक बीमारी हो सकती है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो अस्थमा की स्थिति गंभीर हो सकती है और जानलेवा भी हो सकती है। दूसरी ओर, अस्थमा के गंभीर दौरे भले ही कम हों, लेकिन कभी-कभी वे जानलेवा भी हो सकते हैं। अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएँ समय पर लेना जरूरी है ताकि दौरे रोके जा सकें और वायुमार्ग की सूजन कम हो सके। उपचार रोगी की स्थिति की आवृत्ति और गंभीरता के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकता है, जो अस्थमा को ट्रिगर करने वाले कारकों को प्रबंधित करने में मदद करता है।


मिथक: इनहेलर के दुष्प्रभाव होते हैं और इसकी लत लग सकती है, इसलिए इनके इस्तेमाल से बचना चाहिए

तथ्य: बहुत से लोग इनहेलर का इस्तेमाल करने से डरते हैं और सोचते हैं कि इनकी लत लग सकती हैं, लेकिन आपको यह समझना आवश्यक होगा कि इनहेलर वायुमार्ग में सूजन को कम करने में मदद करते हैं और फेफड़ों के कार्यक्षमता को भी बेहतर बनाते हैं। वे अत्यधिक असरदार होते हैं और अस्थमा के लक्षणों को कम करते हैं, इसलिए इन्हें अस्थमा की रोकथाम के लिए डॉक्टर के निर्देशानुसार लिया जाना चाहिए। इनहेलर के इस्तेमाल से अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर में भी काफी कमी देखी गई है। लेकिन ज्यादातर अस्थमा रोगियों के मन में इनहेलर के बारे में गलत धारणा बैठी है और वे इनका इस्तेमाल करने से बचते हैं और इसके बजाय मौखिक दवाओं का इस्तेमाल करना पसन्द करते हैं।


मिथक: अस्थमा का उपचार केवल लक्षण शुरू होने पर ही करना चाहिए

तथ्य: बहुत से लोग तब तक इंतजार करते हैं जब तक उन्हें अस्थमा के गंभीर लक्षण नजर नहीं आने लगते हैं, उसके बाद ही वे डॉक्टर से इसके निदान और उपचार के लिए मिलते हैं। लेकिन, वास्तव में, अस्थमा को डॉक्टर द्वारा निश्चित किए गए नियमित उपचार और दवाओं के साथ नियंत्रित किया जाना चाहिए। कुछ दवाएँ अस्थमा के दौरे के दौरान राहत प्रदान करती हैं, लेकिन ऐसे दौरों को रोकने के लिए विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में दीर्घकालिक अस्थमा नियंत्रण दवाएँ लेनी चाहिए।


मिथक: घरघराहट (wheezing) हो तो अस्थमा नहीं है

तथ्य: घरघराहट अस्थमा का एक आम और ध्यान देने योग्य लक्षण है। यह सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज पैदा करता है, जो संकरी वायुमार्ग से हवा के गुजरने के कारण उत्पन्न होती है। घरघराहट वायुमार्ग के सिकुड़ने और सूजन के कारण होती है, जिससे व्यक्ति को ठीक से सांस लेने में मुश्किल हो सकती है।

लेकिन वास्तव में, घरघराहट के बिना भी अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। आम तौर पर, घरघराहट की आवाज सामान्य कानों को सुनाई देती है, लेकिन कुछ मामलों में, जब अस्थमा का दौरा गंभीर होता है, तो यह आवाज केवल स्टेथोस्कोप का उपयोग करके ही सुनी जा सकती है। इसलिए, अगर घरघराहट नहीं होती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि अस्थमा नहीं है।


मिथक: अस्थमा सिर्फ बच्चों का रोग है

तथ्य: बहुत से लोग मानते हैं कि अस्थमा बचपन की एक बीमारी है और बड़े होने पर ठीक हो जाती है। हालांकि यह सच है कि बच्चे बड़ी संख्या में अस्थमा से प्रभावित होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अस्थमा आमतौर पर बचपन में ही समाप्त हो जाता है। अस्थमा वयस्कता में भी हो सकता है। बढ़ती उम्र के साथ, आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार आता है, लेकिन अगर आपके परिवार में अस्थमा का इतिहास है और आप एलर्जी के प्रति संवेदनशील हैं, तो इस बात की संभावना बहुत अधिक हो जाती है कि आपमें अस्थमा के लक्षण वयस्क होने पर भी ट्रिगर हो सकते हैं।


निष्कर्ष

हमारे समाज में अस्थमा के बारे में कई मिथक और भ्रांतियाँ मौजूद हैं। लेकिन अचानक अस्थमा के हमले को रोकने और अपनी अस्थमा की स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, जरूरी है कि आप बिना किसी देरी के उचित उपचार पाने के लिए खुद को इन तथ्यों से अवगत कराएं। अस्थमा के सही उपचार और प्रबंधन से अस्थमा के लक्षण वाले लोग सामान्य, सक्रिय और स्वस्थ जीवनयापन कर सकते हैं।

Dr. Debdutta Bandhopadhay
Respiratory & Sleep Medicine
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