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अंग दान: एक ऐसा कार्य जो किसी की ज़िंदगी बचा सकता है।

अंग दान: एक ऐसा कार्य जो किसी की ज़िंदगी बचा सकता है।

किसी के अंग दान का कार्य उन असंख्य लोगों की जान बचा सकता है जो हर दिन मृत्यु की कगार पर जी रहे हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्थापित राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के अनुसार, हर साल लगभग 2,50,000 लोगों को किडनी और लगभग 1,00,000 लोगों को आँखों के कॉर्निया की आवश्यकता होती है। लगभग 80,000 लोगों को लिवर और 50,000 को हृदय की आवश्यकता होती है। ऐसा कहा जाता है कि अंगों के अभाव के कारण हर साल 5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है।


अंगदान के लाभ

प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण अंगों में हृदय, लिवर, अग्न्याशय, आंत, किडनी और फेफड़े शामिल हैं। इसके अलावा, कॉर्निया, हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, टेंडन और नसों सहित ऊतकों को भी प्रत्यारोपण के लिए प्राप्त किया जा सकता है।

अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले व्यक्ति अधिकतर अंगों के अंत-चरण रोगों से पीड़ित हो सकते हैं या गंभीर चोट के कारण अंग को नुकसान पहुंचा हो सकता है। दान किए गए अंगों के माध्यम से एक्यूट किडनी और यकृत विफलता, मधुमेह, फेफड़ों की टर्मिनल बीमारी, हृदय गति रुकना, हृदय वाल्व रोग, जलना और कॉर्नियल अंधापन जैसी बीमारियों का इलाज किया जाता है। 


अंग दान कैसे काम करता है?

अंगदान: दो प्रकार से होता है। जीवित और मृत दाताओं द्वारा निम्नलिखित तरीकों से अंग दान किया जा सकता है:

A. जीवित दाताओं से अंगदान: जीवित अंग दान में, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से स्वेच्छा से अपने कुछ अंगों का एक भाग दान कर सकता है। जीवित दाता अपने लीवर या फेफड़ों का एक हिस्सा, अग्न्याशय का एक भाग और एक किडनी दान कर सकते हैं। इससे दाता में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा नहीं होती हैं क्योंकि शरीर के सुचारू रूप से काम करने के लिए एक किडनी पर्याप्त होती है, लिवर और फेफड़े समय के साथ पुनः उत्पन्न हो जाते हैं और अग्न्याशय का एक हिस्सा शरीर को आवश्यक अग्नाशयी कार्यों को पूरा कर सकता है।

जीवित अंग दान के अंतर्गत दाता निम्न तीन प्रकार के होते हैं:

  • निकट संबंधी दाता: निकट परिवार के सदस्य जैसे माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे, दादा-दादी, नाती-पोते और पति/पत्नी को प्राप्तकर्ता को अंगदान करने की अनुमति होती है।
  • अन्य निकट संबंधी दाता: प्राप्तकर्ता का कोई भी रिश्तेदार या शुभचिंतक उन्हें अंग दान कर सकता है।
  • स्वैप दाता: अक्सर रक्त समूह न मिलने जैसे कारणों से निकट परिवार, रिश्तेदार और शुभचिंतक जरूरतमंद व्यक्ति को अंगदान नहीं कर पाते हैं। ऐसे में 'स्वैप दान' होता है, जहां दो परिवार एक साथ आते हैं और एक-दूसरे को अंग दान करते हैं। ऐसे में दाताओं की 'अदला-बदली' कर दी जाती है।


B. मृत दाताओं से अंगदान:

अगर किसी मरीज को 'ब्रेन स्‍टेम डेड’ घोषित कर दिया जाता है; ऐसी स्थिति जहां मरीज का दिमाग काम करना बंद कर दिया है और रोगी के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को काम करते रहने के लिए जीवन रक्षक प्रणालियों पर निर्भर रहना पड़ता है, तो मृत अंगदान संभव है।

महत्वपूर्ण अंग तभी दान किए जा सकते हैं जब व्यक्ति अस्पताल में भर्ती हो और डॉक्टर ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया हो। मृत दाता से किए गए अंग प्रत्यारोपण को आमतौर पर कैडवेरिक प्रत्यारोपण कहते हैं। मृतक दाता से निकाले गए अंगों को निम्नलिखित समय सीमा के भीतर प्राप्तकर्ता को प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए:

हृदय- 4-6 घंटे 

फेफड़े- 4-8 घंटे

आंत- 6-10 घंटे

लीवर- 12-15 घंटे

अग्न्याशय- 12-24 घंटे

गुर्दे- 24-48 घंटे


दाता कौन हो सकते हैं? 

जो लोग अंग दान के लिए पंजीकरण कराना चाहते हैं वे NOTTO की वेबसाइट से दाता का फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं। फॉर्म जमा करने के बाद एक प्रिंट करने योग्य डोनर कार्ड जारी किया जाता है, जिस पर दानकर्ता का नाम, रक्त समूह और वे अंग और ऊतक जो वे दान करना चाहते हैं, के बारे में बताया जाता है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में सक्रिय कैंसर है या कोई प्रणालीगत विकार है तो वह अंग दान नहीं कर सकते हैं क्योंकि ये स्थितियाँ प्राप्तकर्ता के शरीर में भी फैल सकती हैं। NOTTO मृत अंगदान के लिए निम्न आयु सीमा का सुझाव देते हैं:


अंग दाता | आयु सीमा
किडनी और लीवर | 70 वर्ष तक
हृदय और फेफड़े | 50 वर्ष तक
अग्न्याशय और आंत | 60-65 वर्ष तक
कॉर्निया और त्वचा | 100 वर्ष तक
हृदय वाल्व | 50 वर्ष तक
हड्डियाँ | 70 वर्ष तक




यदि आप अंगदान करने का निर्णय लेते हैं, तो अपने करीबी रिश्तेदारों से इस बारे में बात करना महत्वपूर्ण होता है, जिससे मस्तिष्क मृत्यु की स्थिति में प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

  • यदि अस्पताल में किसी दाता की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार की सहमति के बाद डॉक्टर और ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर (बड़े अस्पतालों में उपलब्ध) प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।
  • यदि किसी व्यक्ति की घर पर मृत्यु हो जाती है, तो निकटतम सरकारी या बड़े निजी अस्पताल से संपर्क किया जाना चाहिए। हालांकि, यह तुरंत किया जाना चाहिए। घर पर मृत्यु होने पर केवल आंखें और कुछ ऊतक ही प्रत्यारोपण के लिए प्राप्त किए सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में अंगदान के मामले में परिवार की सहमति अंतिम निर्णायक कारक होती है। यदि परिवार मृतक व्यक्ति के पंजीकरण के बावजूद भी अंगदान की अनुमति देने से इनकार कर देते हैं, तो डॉक्टर कोई भी अंग प्रत्यारोपण नहीं कर सकते हैं।

Medanta Medical Team
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