मायस्थेनिया ग्रेविस-रोग के निदान और उपचार से जुड़े कुछ तरीके और उनका अवलोकन
मायस्थेनिया ग्रेविस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर थी स्वेच्छा से काम करने वाली मांसपेशियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और व्यक्ति अपने रोजमर्रा के काम करने में समर्थ नहीं रहता है. इसमें आंखों, पैरों, और गर्दन की मांसपेशियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.पूरे समय थकान रहना, बोलने और निगलने में कठिनाई, सांस लेने में परेशानी और अपनी गर्दन ना संभाल पाना इस रोग से जुड़े हुए कुछ सामान्य लक्षण हैं.
यह लोग ज्यादातर बड़े लोगों में देखा जाता है लेकिन कभी-कभी यह बच्चों को भी अपनी जकड़ में ले लेता है. एक रोगी मां से यह रोग प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे में होने की संभावना कम है लेकिन फिर भी इस तरह के कुछ मामले सामने आए हैं.
मायस्थेनिया ग्रेविस रोग पर लगातार वैज्ञानिकों द्वारा शोध किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक इस के इलाज का कोई स्पष्ट तरीका सामने नहीं आया है. कुछ मामलों में जन्म के समय यह बीमारी होने पर कुछ लक्षणों को नियंत्रित करते हुए रोक के प्रभाव को कम किया जा सकता है लेकिन बड़े होने पर अगर यह बीमारी आपको होती है तो इलाज की संभावना ना के बराबर है. शुरुआती 3 से 4 सालों में इस बीमारी का प्रभाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि ज्यादातर मामलों में यह रोगी के मृत्यु का कारण भी बन सकता है.
मायस्थेनिया ग्रेविस के निदान का तरीका
डॉक्टर पारिवारिक हिस्ट्री और शारीरिक जांच करते हुए इस बीमारी का पता लगाते हैं. इसके लिए अलग-अलग तरह के टेस्ट किए जा सकते हैं जो इस प्रकार से हैं-
- न्यूरोलॉजिकल परीक्षा: इस टेस्ट में मरीज के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम को टेस्ट किया जाता है कि वह सही तरह से कार्य कर रहा है या नहीं.
- आइस पैक टेस्ट : अगर मरीज की पलकें नीचे की तरफ लटकी हुई है तो डॉक्टर उन पर आइस पैक रखते हुए यह टेस्ट करते हैं कि इसका मरीज के ऊपर कैसा रिस्पॉन्स है.
- रक्त विश्लेषण: ब्लड टेस्ट करते हुए भी कभी-कभी इस बीमारी की पुष्टि की जा सकती है.
- दोहरावदार तंत्रिका उत्तेजना () स्पेस में मांसपेशियों में इलेक्ट्रोड भेजकर यह जानकारी ली जाती है कि आपका तंत्रिका तंत्र इन सिगनल से किस तरह से प्रभावित हो रहा है.
- इमेजिंग टेस्ट : यह टेस्ट आपके फेमस एरिया में ट्यूमर की जांच करने के लिए किया जाता है.
- पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट :इस टेस्ट के माध्यम से यह जांच की जाती है कि आप को सांस लेने में जो परेशानी हो रही है वह इस बीमारी से जुड़ी है या नहीं.
मायस्थेनिया ग्रेविस रोग के इलाज का तरीका:
जैसा कि पहले बताया गया है एमजी का फिलहाल कोई इलाज नहीं है.इलाज के तरीकों के माध्यम से आप लक्षणों को कंट्रोल कर सकते हैं.इसके लिए निम्नलिखित तरह से इलाज किया जा सकता है
- दवाई
यह एक तरह का ऑटोइम्यून डिजीज है इसलिए इस चीज को कंट्रोल करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह दवाइयां इस रोग से जुड़ी हुई अनियमित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद करती हैं. इसके अलावा, चोलिनेस्टरेज़ इनहिबिटर, जैसे कि पाइरिडोस्टिग्माइन (मेस्टिनॉन), का उपयोग नसों और मांसपेशियों के बीच कम हो रहे कम्युनिकेशन को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.
- थाइमस ग्रंथि निकालना
यह रोग शरीर में ब्रेस्टबोन के नीचे पाई जाने वाली थायमस ग्लैंड को प्रभावित करता है और कभी-कभी रोगियों में थायमस ग्लैंड से जुड़ा हुआ ट्यूमर हो जाता है जो आगे चलकर कैंसर बन सकता है. इस तरह की परेशानी होने पर सर्जरी के माध्यम से थायमस ग्लैंड को हटा दिया जाता है. इस तरह से यह रोग से जुड़े हुए कुछ लक्षण कम करने में मदद कर सकता है.
- प्लाज्मा एक्सचेंज
प्लाजमा एक्सचेंज प्रक्रिया के माध्यम से ब्लड में से उन हानिकारक एंटीबॉडीज को हटा दिया जाता है जिसकी वजह से इस रोग के लक्षण सामने आ रहे हैं. यह उपचार दीर्घकालिक नहीं माना गया है क्योंकि शरीर निरंतर एंटीबॉडी बनाता रहता है. एक बार यह उपचार करने के बाद आपको कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है लेकिन एक बार शरीर फिर से अभी एंटीबॉडी बनाता है तो मांसपेशियों में कमजोरी के लक्षण एक बार फिर से वापस आ सकते हैं. अगर आप एमजी रोग से जुड़ी हुई किसी भी तरह की सर्जरी करवा रहे हैं तो उससे पहले यह प्रक्रिया आपके लिए लाभदायक हो सकती है क्योंकि यह रोग के कारण आई हुई बहुत ज्यादा कमजोरी को कुछ हद तक सीमित कर देता है.
- इंट्रावेनस इम्यून ग्लोब्युलिन
इंट्रावेनस इम्यून ग्लोब्युलिन रक्त में पाया जाता है और एक निरोगी व्यक्ति एमजी रोग से पीड़ित व्यक्ति को इसे दान कर सकता है. इसका इस्तेमाल ऑटोइम्यून एमजी के इलाज के लिए किया जा सकता है. हालांकि अभी तक इस बात पर शोध नहीं किया जा चुका है कि यह किस तरह से काम करता है और कैसे एंटीबॉडीज के कार्य को प्रभावित करता है.
- जीवन शैली में परिवर्तन
एक बार इस रोग की जांच हो जाने के बाद इसका इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है. बहुत से मामलों में ऐसा भी देखा जाता है कि मरीज को सांस लेने में इतनी परेशानी होती है कि यह उसकी मौत का कारण भी बन सकता है. ऐसे में आप अपनी दिनचर्या में कुछ हल्के-फुल्के बदलाव करते हुए लक्षणों को कम कर सकते हैं.
- डॉक्टर की सलाह पर लक्षण को कम करने वाली दवाइयां ले. इसके उपचार के लिए डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स लेने का सुझाव देते हैं.
- जितना ज्यादा हो सके अपनी मांसपेशियों को उतना ही आराम दे.
- किसी भी तरह के तनाव में आने से बचें और साथ ही बहुत ज्यादा गर्मी के संपर्क में भी ना आएं. यह दोनों ही चीजें लक्षणों को और ज्यादा बढ़ा सकती हैं.