मानव मस्तिष्क की स्मृति क्षमता |
मानव मस्तिष्क की स्मृति क्षमता (memory capacity) एक जटिल प्रणाली है| यह आपके विभिन्न अंगों से संकेत प्राप्त करके और उपयुक्त प्रतिक्रिया भेजती है। आइए मानव मस्तिष्क की स्मृति क्षमता को विस्तार से समझते हैं और स्मृति बढ़ाने के कुछ टिप्स के बारे में जानकारी लेते हैं।
हम लोग अक्सर ऐसे व्यक्तियों या बच्चों के विषय में सुनते हैं या मिलते हैं जिनकी स्मरण शक्ति हमें आश्चर्य कर देती है| पुराने समय से ही काफ़ी कालजयी कलाकारों की रूचि मानव मस्तिस्क में थी। उदाहरण के लिए शेक्स्पियर की अमर रचनात्मकता हेमलेट और लियनएर्डो दा-विन्सी की विट्रुवियन मैन मानव दिमाग़ का ही फल है। हमारी स्मृति निसंदेह रूप से हमें दिया गया सबसे अनोखा और अविश्वनीय उपाहार है। स्मरण शक्ति के कुछ फैक्ट्स आपको आश्चर्यचकित कर सकते हैं।
आइए मानव मस्तिष्क की स्मृति क्षमता को विस्तार से समझते हैं।
नये युग ने हमें अपने दैनिक जीवन में उपयोग आने वाले आधुनिक प्रौद्योगिक से अवगत कराया है। कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्टफोन जैसे गैजेट हमारे जीवन के ज़रूरी अंग बन गए हैं। मस्तिष्क स्मृति मानव के लिये एक अदभुत् तोहफा है। इंसान ब्रेन मेमोरी की क्षमता की कल्पना भी नहीं कर सकता। मानव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र हमारे शरीर के किसी अन्य भागों में आयी समस्याओं के प्रति उपयुक्त प्रतिक्रिया करते हैं।
मानव मस्तिष्क की स्मरण क्षमता क्या है?
मानव मस्तिष्क एक जटिल अंग है जो मानव शरीर के हर प्रक्रिया और स्मृति, भावना, विचार, स्पर्श, दृष्टि, श्वास पैटर्न को नियंत्रित करता है। मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी के साथ, आपका तंत्रिका तंत्र बनाता है। विशेषज्ञों ने मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच के संबंधों को मापकर मानव मस्तिष्क के स्मरण क्षमता की गणना की और उस संख्या को बाइट्स और कंप्यूटर मेमोरी यूनिट्स में डिकोड किया है। जैसे हम किसी भी गैजेट की मेमोरी कैपेसिटी को मेगाबाइट्स और गीगाबाइट्स में चेक करते हैं। मानव मस्तिष्क में अरबों न्यूरॉन उपस्थित होते हैं, और प्रत्येक न्यूरॉन में हजारों कनेक्शन होते हैं। एक सिंगल बाइट (स्टोरेज यूनिट) में 8 बिट्स होते हैं, और आपका मानव मस्तिष्क एक क्वाड्रिलियन बाइट्स (पेटाबाइट) से अधिक डेटा स्टोर कर सकता है।
साइंटिफिक अमेरिकन के एक लेख में वर्णित किया गया है की मानव मस्तिष्क की स्मृति क्षमता को 2.5 पेटाबाइट मेमोरी क्षमता के बराबर प्रमाणित किया गया था। एक "पेटाबाइट" का अर्थ है 1024 टेराबाइट्स या एक मिलियन गीगाबाइट। इसका मतलब वयस्क मानव मस्तिष्क औसतन 2.5 मिलियन गीगाबाइट मेमोरी के बराबर जमा कर सकता हैं। स्टैनफोर्ड द्वारा किए गए लेटेस्ट अध्ययन के अनुसार, मानव मस्तिष्क सबसे आधुनिक कंप्यूटरों के साथ रचनात्मक रूप से तुलना करता है। मानव मस्तिष्क के सेरेब्रल कॉर्टेक्स 125 ट्रिलियन कनेक्शन या सिनैप्स रख सकता है, जो स्मरण क्षमता के 2.5 पेटाबाइट्स तक स्टोर कर सकते हैं।
मानव मस्तिष्क की स्मृति क्षमता कैसे काम करती है?
मानव मस्तिष्क पूरे शरीर में विभिन्न संकेतों की प्रक्रियाओं को समझता और नियंत्रित करता है, और मस्तिष्क उनमें से प्रत्येक प्रक्रिया को पूरी तरह से समझता है। बहुत सारे संदेश मस्तिष्क के अंदर सुरक्षित रहते हैं। और बाक़ी बचे हुए संकेतों को रीढ़ और शरीर के तंत्रिकाओं द्वारा संप्रेषित किया जाता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (central nervous system) असंख्य न्यूरॉन्स या तंत्रिका कोशिकाओं पर निर्भर करता है। प्रत्येक न्यूरॉन में हजारों सिनैप्स होते हैं, और एक मस्तिष्क की क्षमता न्यूरॉन्स के बीच नेटवर्क की ताकत से निर्धारित होती है, जो सिनैप्स के आकार से जुड़ी होती है। मानव मस्तिष्क विभिन्न सूचनाओं और डेटा को भेजता है, प्राप्त करता है और अंततः संग्रहीत करता है। मस्तिष्क, कॉर्टेक्स से सूचना को निर्देशित करता है, जहां मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं स्मृति को स्टोर करने के लिए हिप्पोकैम्पस को भेजती हैं। जो मेमोरी, लर्निंग, डायरेक्शन-फाइंडिंग, और स्पेस की धारणा को बनाता है। हिप्पोकैम्पस सेरेब्रल कॉर्टेक्स से जानकारी प्राप्त करता है और यह अल्जाइमर रोग में भूमिका निभाता है। मानव मस्तिष्क में लगभग 86 बिलियन न्यूरॉन्स और विभिन्न न्यूरोग्लिया हैं, जो न्यूरॉन्स की एक सहायक प्रणाली के रूप में काम करते हैं। न्यूरॉन्स के बीच आपसी संपर्क महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक न्यूरॉन लगभग 10,000 अन्य न्यूरॉन से जुड़ सकता है।
मेमोरी के प्रकार
- संवेदी (sensory) मेमोरी: यह किसी भी प्रकार की क्रिया के ख़त्म होने के बाद उसकी संवेदी जानकारी को याद रखने में सहायता करता है। अन्य स्मृतियाँ संवेदी मेमोरी के बनने के बाद बनना शुरू होती हैं। जब कोई व्यक्ति एक ही संवेदी मेमोरी बार-बार अनुभव करता हैं तो यह अल्पावधि स्मृति दीर्घकालिक हो जाती हैं।
- अल्पावधि (short term) स्मृति: यह आपको कुछ समय के लिये जानकारी याद रखने की अनुमति देता हैं। एक शोध के अनुसार किसी घटना की अल्पावधि मेमोरी लगभग 30 seconds तक रहती है। आप सूचनाओं को बार-बार अभ्यास या याद कर उन्हें लंबे समय तक याद कर सकते हैं।
- दीर्घकालिक (long term) स्मृति: मनुष्यों की याद का एक बड़ा हिस्सा दीर्घकालिक स्मृति के रूप में रहता हैं। कोई भी मेमोरी जो 30 सेकंड से ज़्यादा हो दीर्घकालिक स्मृति होती है। हमारी दीर्घकालिक स्मृति कितनी और कितने समय तक हमारे मस्तिष्क में रहती हैं, इसकी कोई सीमा नहीं होती। दीर्घकालिक स्मृति दो मुख्य प्रकार कि होती हैं:
- स्पष्ट (explicit)
- निहित (implicit)
मेमोरी को बढ़ाने के कुछ टिप्स
- धूम्रपान और शराब की आदत को छोड़ें।
- शक्करयुक्त और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को सेवन नियंत्रित करें।
- स्मृति को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे हरे पत्तेदार सब्ज़ियाँ, ताज़ा फल, नट्स, बेरीज, और मछलियाँ का सेवन करें।
- दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के न्यूरॉन्स और याददाश्त बढ़ाने वाले न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को बढ़ाता है।
- हर रात कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेने की कोशिश करें।
- दिमाग़ को हमेशा व्यस्त और चुनौतीपूर्ण रखें। इसके लिए आजीवन सीखने के कार्य जैसे यात्रा करना, नई भाषाएँ सिखना, नये वाद्ययंत्र, विभिन्न कला और नये-नये ख़ाना सिखना, पहेलियाँ सुलझाना, बोर्ड गेम खेलना, मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास को बढ़ाते हैं।
- हमेशा व्यवस्थित रहें जिससे आपको जानकारी को बेहतर ढंग से याद रखने में मदद मिलती हैं। कुछ मानसिक आदतें जैसे की किसी व्यक्ति के नाम को दोहराते रहना, ढंग से पढ़ना, या बातचीत में पूरा ध्यान देना आपकी मेमोरी को बढ़ाने में मदद करती हैं।
- तनाव कम करना, मैडिटेशन, और सामाजिक संबंधों को बनाने से मेमोरी बढ़ती हैं।
निष्कर्ष
हालाँकि कंप्यूटर और आधुनिक गैजेट्स एक अविश्वसनीय स्टोरेज वाले होते हैं, फिर भी मानव मस्तिष्क सबसे प्रभावशाली सोच मशीन के रूप में पहचाना जाता हैं। मानव मस्तिष्क की स्मृति एक जटिल प्रणाली है यह चालू या बंद बाइनरी की तरह सरल नहीं है। जैसे-जैसे हम इसके बारे में और खोज कर रहे हैं, मस्तिष्क की स्मृति कि शक्ति और क्षमता हमें और आश्चर्यजनक कर रही है। दशकों के मनोवैज्ञानिक खोज के बाद, विशेषज्ञों को अभी भी मानव मस्तिष्क की स्मृति कि स्टोरेज कैपेसिटी को समझने में और शोध की आवश्यकता है। मस्तिष्क से संबंधित लक्षणों और बीमारियों के इलाज के लिए न्यूरोलॉजिस्ट या मनोचिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए।