डक्टल एंड लोब्यूलर हायपरप्लेजिया ऑफ ब्रैस्ट

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मेदांता द मेडिसिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सीनियर डायरेक्टर ब्रेस्ट सर्विसेज के रूप में कार्यरत डॉ. राजीव अग्रवाल स्तन स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ हैं। आज वे स्तन की एक महत्वपूर्ण स्थिति - डक्टल एंड लोब्यूलर हायपरप्लेजिया के बारे में अपनी विशेषज्ञ राय साझा कर रहे हैं।
डक्टल हायपरप्लेजिया क्या है?
डक्टल हायपरप्लेजिया स्तन की एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोशिकाओं की अतिवृद्धि होती है। डॉ राजीव अग्रवाल के अनुसार, डक्टल हायपरप्लेजिया को कई प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। अक्सर मरीज उनके पास रिपोर्ट लेकर आते हैं जिसमें डक्टल हायपरप्लेजिया या लोब्यूलर हायपरप्लेजिया लिखा होता है। मरीज़ बड़े परेशान होते हैं कि ये कैंसर तो नहीं है या भविष्य में इसके कैंसर में बदलने की संभावना तो नहीं हैं।
स्तन में दो तरह के ऊतक होते हैं। एक तो जो दूध बनाने वालीं ग्रंथियाँ जिन्हें हम लोब्यूलस कहते हैं, और दूसरी इस दूध को ट्रांस्पोर्ट करने वाली नलिकाएँ - जिन्हें हम डक्ट्स या ट्यूब्यूलस कहते हैं। इन ट्यूब्यूलस या ग्रंथियों में कोशिकाएँ होती हैं, जिनकी कई परत होती हैं। जब कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती या या इनकी अतिवृद्धि हो जाती है, या इनकी परतों की संख्या बढ़ जाती हैं तो इस स्थिति को हम हायपरप्लेजिया कहते हैं। अगर ये हायपरप्लेजिया ट्यूब्यूलस या डक्ट्स में है तो इसे डक्टल हायपरप्लेजिया कहते हैं, और यदि ये हायपरप्लेजिया लोब्यूलस में है तो इसे लोब्यूलर हायपरप्लेजिया कहते हैं।
हायपरप्लेजिया के प्रकार
डॉ अग्रवाल बताते हैं कि हायपरप्लेजिया को कई हिस्सों में विभाजित किया जाता है:
1. सामान्य (यूजुअल) डक्टल हायपरप्लेजिया
यूजुअल डक्टल हायपरप्लेजिया का मतलब है कि कोशिकाओं की अतिवृद्धि हुई है, लेकिन यह वृद्धि दो परत से चार परत तक पहुंची है और कोशिकाओं की संरचना बिल्कुल सामान्य है। इस स्थिति में भविष्य में स्तन कैंसर का जोखिम बहुत ही मामूली रूप से बढ़ सकता है। डॉ अग्रवाल के अनुसार, अगर सामान्य जोखिम 1 है, तो यह बढ़कर 1.5 हो सकता है।
2. मॉडरेट डक्टल हायपरप्लेजिया
इस प्रकार के हायपरप्लेजिया में कोशिकाओं की परत 4 से 5 हो जाती है, लेकिन कोशिकाओं की संरचना फिर भी सामान्य रहती है। एक और हायपरप्लेजिया है जिसे फ़्लोरिड हायपरप्लेजिया कहते हैं। फ़्लोरिड हायपरप्लेजिया और मॉडरेट हायपरप्लेजिया एक ही चीज़ है, लेकिन फ़्लोरिड हायपरप्लेजिया में कोशिकाओं की अतिवृद्धि मॉडरेट हायपरप्लेजिया से ज़्यादा होती है और स्तन कैंसर का भविष्य खतरा दो गुना होता है।
3. अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया
इस प्रकार के हायपरप्लेजिया में कोशिकाओं की अतिवृद्धि होती है और कोशिकाओं की संरचना भी बदल जाती है और कोशिकाएं थोड़ी असामान्य दिखाई देने लगती हैं। डॉ अग्रवाल के अनुसार, इन मामलों में भविष्य में स्तन कैंसर का जोखिम 4 से 5 गुना बढ़ सकता है।
4. अटिपिकल लॉब्यूलर हायपरप्लेजिया
इसमें दूध बनाने वाली ग्रंथियों में कोशिकाओं की अतिवृद्धि होती है और कोशिकाओं की संरचना बदल जाती है। इस स्थिति में भी भविष्य में स्तन कैंसर का जोखिम 4 से 5 गुना बढ़ जाता है।
हायपरप्लेजिया लक्षण और निदान
जब कोई मरीज़ स्तन में गाँठ की समस्या ले कर आता हैऔर इस स्थिति में हम मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंडकरते हैं तो उसमें कोई असामान्यता मिलती है तो बायोप्सी की जाती है। जब बायोप्सी में हायपरप्लेजिया के ऊपर दिए गए प्रकारों का पता चलता है तो आगे के उपचार की रूपरेखा निर्धारित की जाती है।
ब्रेस्ट हायपरप्लेजिया का उपचार
डॉ अग्रवाल के अनुसार, हायपरप्लेजिया का उपचार इसके प्रकार पर निर्भर करता है:
यूजुअल डक्टल हायपरप्लेजिया का उपचार
यूजुअल डक्टल हायपरप्लेजिया के माइल्ड और मॉडरेट मामले में विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। डॉ अग्रवाल बताते हैं कि इन मरीजों को वे फॉलो-अप में रखते हैं, यानी नियमित जांच के लिए बुलाते रहते हैं।
अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया का उपचार
अगर फ्लोरिड या अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया है, तो डॉ अग्रवाल के अनुसार, असामान्य क्षेत्र को थोड़े से आसपास के ऊतकों के साथ सर्जरी द्वारा निकालना चाहिए। यह इसलिए किया जाता है ताकि भविष्य में स्तन कैंसर का जोखिम कम किया जा सके।
डॉ अग्रवाल की सलाह
डॉ राजीव अग्रवाल स्पष्ट करते हैं कि डक्टल हायपरप्लेजिया, विशेष रूप से अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया, एक प्री-कैन्सरस स्थिति है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह एक महत्वपूर्ण स्थिति है जिसका उचित निदान और उपचार आवश्यक है।
निष्कर्ष
डक्टल एंड लोब्यूलर हायपरप्लेजिया स्तन की एक महत्वपूर्ण स्थिति है जिसके विभिन्न प्रकार हैं, और प्रत्येक प्रकार के साथ स्तन कैंसर का अलग-अलग जोखिम जुड़ा हुआ है। डॉ राजीव अग्रवाल के अनुसार, यूजुअल डक्टल हायपरप्लेजिया में स्तन कैंसर का जोखिम मामूली रूप से बढ़ता है, जबकि अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया में यह जोखिम 4 से 5 गुना बढ़ सकता है।
इसलिए, अगर आपकी रिपोर्ट में डक्टल हायपरप्लेजिया का उल्लेख है, तो अपने डॉक्टर से इसके प्रकार और आवश्यक उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा करें। अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया के मामले में, सर्जरी द्वारा असामान्य ऊतकों को निकालना भविष्य में स्तन कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या डक्टल हायपरप्लेजिया स्तन कैंसर है?
नहीं, डक्टल हायपरप्लेजिया स्तन कैंसर नहीं है। यह स्तन की एक स्थिति है जिसमें कोशिकाओं की अतिवृद्धि होती है। हालांकि, कुछ प्रकार के हायपरप्लेजिया, विशेष रूप से अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया, भविष्य में स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
क्या सभी प्रकार के डक्टल हायपरप्लेजिया के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है?
नहीं, सभी प्रकार के डक्टल हायपरप्लेजिया के लिए सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। डॉ अग्रवाल के अनुसार, यूजुअल डक्टल हायपरप्लेजिया के मामले में विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है और मरीजों को केवल फॉलो-अप में रखा जाता है। हालांकि, अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया के मामले में, असामान्य ऊतकों को सर्जरी द्वारा निकालने की सलाह दी जाती है।
डक्टल हायपरप्लेजिया का पता कैसे चलता है?
डक्टल हायपरप्लेजिया का पता अक्सर मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंड जैसी जांचों के दौरान चलता है। कई मामलों में, इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।
अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया में स्तन कैंसर का जोखिम कितना बढ़ जाता है?
डॉ अग्रवाल के अनुसार, अटिपिकल डक्टल हायपरप्लेजिया में भविष्य में स्तन कैंसर का जोखिम 4 से 5 गुना बढ़ सकता है।
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