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खांसी के घरेलू उपाय: प्रभावी और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तरीके

खांसी के घरेलू उपाय: प्रभावी और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तरीके

खाँसी एक आम समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है, जैसे वायरल संक्रमण, एलर्जी या पर्यावरणीय कारक। आमतौर पर यह हानिरहित होती है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक बनी रहती है या अन्य लक्षणों के साथ आती है, तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकती है। खाँसी किसी भी प्रकार की हो, यह आपकी दिनचर्या में बाधा डाल सकती है, विशेषकर जब यह लगातार बनी रहे।

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार, खाँसी के सामान्य कारणों में वायरल संक्रमण, एलर्जी, एसिड रिफ्लक्स और धूम्रपान शामिल हैं। हालांकि, यदि खाँसी दो सप्ताह से अधिक बनी रहती है, तो यह टीबी, ब्रोंकाइटिस या अस्थमा जैसी गंभीर स्थितियों का संकेत हो सकती है।

सूखी खाँसी, बलगम वाली खाँसी या बार-बार होने वाली खाँसी से राहत पाने के लिए घरेलू उपाय प्रभावी हो सकते हैं, खासकर जब वे औषधीय जड़ी-बूटियों पर आधारित हों। कई प्राकृतिक उपचार खाँसी की तीव्रता को कम करने और गले की जलन को शांत करने में मदद कर सकते हैं।

घरेलू नुस्ख़ों से खाँसी से राहत कैसे प्राप्त करें?

कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि शहद में एंटीमाइक्रोबियल और सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो गले की खराश को शांत करने और खाँसी को कम करने में सहायक होते हैं। इसी तरह, मुलेठी, अदरक, हल्दी वाला दूध और काढ़ा जैसी प्राकृतिक औषधियाँ भी खाँसी से राहत दिलाने में मददगार हो सकती हैं।

हालांकि, किसी भी प्राकृतिक उपचार को अपनाने से पहले यह जानना जरूरी है कि खाँसी का कारण क्या है। यदि खाँसी तीन सप्ताह से अधिक बनी रहती है, बलगम में खून आता है, सांस फूलने लगती है, या अचानक वजन कम होने लगता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

खांसी के प्रकार

  • सूखी खांसी: यह गले में जलन और खुजली के कारण होती है।

  • बलगम वाली खांसी: इसमें गाढ़ा बलगम निकलता है, जो आमतौर पर संक्रमण या फेफड़ों की समस्या का संकेत हो सकता है।

  • एलर्जिक खांसी: यह धूल, धुएं, या किसी विशेष गंध के संपर्क में आने से होती है।

  • रात में होने वाली खांसी: यह एसिड रिफ्लक्स या अस्थमा से संबंधित हो सकती है।

खांसी के मुख्य कारण

खांसी का सबसे आम कारण एलर्जी या मौसमी बदलाव हो सकता है। ऐसे में खांसी बहती नाक के साथ हो सकती है। इसके अलावा अपच भी खांसी का एक कारण हो सकता है। फेफड़ों के रोग जैसे अस्थमा, निमोनिया और ब्रोंकाइटिस के कारण भी व्यक्ति को खांसी हो सकती है। खांसी कई बार आपको बहुत परेशान कर सकती है। रात के समय खांसी से राहत पाने के लिए आप एक तकिया अपने सिर के नीचे रख सकते हैं। कुछ प्राकृतिक घरेलू उपचार जिन्हें आसानी से किया जा सकता है खांसी से बचाने में अत्यधिक लाभदायक हैं।

खांसी के घरेलू इलाज के लिए कुछ आसान नुस्ख़े और टिप्स:

अदरक का काढ़ा:

अदरक हमारी सभ्यता का एक अहम् हिस्सा है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करके गले को आराम पहुंचाते हैं।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • अदरक के छोटे टुकड़े को 2 कप पानी में उबालें।

  • इसमें 1 चुटकी दालचीनी और 1 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

इस गर्म काढ़े को धीरे धीरे पियें और आराम करें। अदरक आपको आराम देती है और तरोताज़ा महसूस कराती है। अगर आपकी खांसी अपच के कारण है तो भी यह अत्यंत असरकारक है। यदि आपको काढ़ा या चाय पसंद नहीं है तो आप अदरक के पाउडर को शहद के ले सकते हैं या इसकी घर पर कैंडी बना सकते हैं।

शहद:

शहद खांसी के लिए एक रामबाण औषधि है। शहद बलगम को कम करने में मदद करता है। शहद में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो गले की सूजन को शांत करके खांसी को काबू करने में मदद करते हैं। याद रखें शहद के विषाक्त होने का जोखिम होता है इसलिए इसे एक साल से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • 1 चम्मच शहद को गुनगुने पानी या अदरक की चाय में मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें।

  • हल्के गुनगुने दूध में शहद मिलाकर रात को पीने से रात की खांसी में राहत मिलती है।

हल्दी:

हल्दी प्रकृति का एक ऐसा उपहार है जो औषधीय, करक्यूमिन एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है, जिससे संक्रमण को कम किया जा सकता है।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • 1 गिलास गर्म दूध में 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर और 1 चुटकी काली मिर्च मिलाकर सेवन करें।

  • यह नुस्खा खासतौर पर रात में होने वाली खांसी के लिए फायदेमंद है।

हल्दी से गले की खराश में भी आराम मिलता है। दूध में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर हल्दी के प्रभाव को बढ़ाता है जिससे खांसी पर जल्द से जल्द काबू हो सकता है। अगर आपको दूध पसंद नहीं है तो आप हल्दी को पानी के साथ भी ले सकते हैं। शहद के साथ हल्दी भी काफी लाभदायक होती है।

मुलेठी:

मुलेठी का सेवन गले की खराश और बलगम वाली खांसी को शांत करता है। यह आयुर्वेद में सदियों से उपयोग किया जाता रहा है।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • मुलेठी की छोटी डंडी को धीरे-धीरे चूसें।

  • 1/2 चम्मच मुलेठी पाउडर को गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करें।

अजवायन और भाप लेना:

अजवायन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो बलगम को बाहर निकालने में मदद करते हैं। अजवायन को आप चाय में डालकरअपनी खांसी में काफ़ी आराम पा सकते हैं। वहीं, भाप लेने से श्वसन नलिका में जमा बलगम जल्दी निकलता है। स्टीम इनहेलेशन खांसी और वायुमार्ग में कंजेशन को तुरंत साफ करने में काफ़ी मददगार सिद्ध होता है। भाप श्वसन मार्ग में उपस्थित हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को भी मारती है।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • पानी में अजवायन डालकर उबालें और उसकी भाप लें।

  • गर्म पानी में नीलगिरी का तेल डालकर भाप लेने से तुरंत राहत मिलती है।

गरारे करना:

नमक के पानी से गरारे गले की खराश कम करने और खांसी को नियंत्रित करने का एक उत्कृष्ट तरीका है। गर्म पानी बलगम को भी वायुमार्ग से जल्दी बाहर निकालने में मदद कर सकता है।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • 1 गिलास गुनगुने पानी में 1/2 चम्मच नमक मिलाएं और दिन में 2-3 बार गरारे करें।

गर्म सूप:

गर्म सूप पीने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और गले को आराम मिलता है। गर्मागर्म सूप खांसी पर सुखदायक प्रभाव करता है।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • चिकन सूप या सब्जियों का सूप खांसी से राहत देने में कारगर होता है।

हर्बल चाय:

तुलसी, दालचीनी, अदरक, और काली मिर्च से बनी हर्बल चाय गले को आराम देती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है।

कैसे इस्तेमाल करें?

  • तुलसी की पत्तियां, अदरक, और दालचीनी को 2 कप पानी में उबालें।

  • इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

लगातार खांसी आने पर क्या करना चाहिए?

यदि घरेलू उपचार से आराम नहीं मिल रहा है या खाँसी में आपको खून दिख रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, खासकर यदि:

  • खांसी तीन सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहे।

  • खांसते समय खून आए।

  • सांस लेने में कठिनाई हो।

  • तेज बुखार या अचानक वजन कम होने लगे।

निष्कर्ष

खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू नुस्खे प्रभावी साबित हो सकते हैं, लेकिन यदि लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। स्वस्थ आहार, हाइड्रेशन और सही देखभाल से आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकते हैं और खांसी से बच सकते हैं।

Dr. Vijay Kumar
Critical Care
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