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एड़ी का दर्द: कारण, बचाव और उपचार

एड़ी का दर्द: कारण, बचाव और उपचार

पैर और टखने में 26 हड्डियाँ (tarsals), 33 जोड़, और 100 से अधिक टेंडन मौजूद होते हैं, जिनमें से एड़ी की हड्डी (calcaneus) सबसे बड़ी होती है। एड़ी मोटी वसीय ऊतकों की एक गद्दी होती है जो शरीर के वजन और विभिन्न गतिविधियों के दबाव के बावजूद अपनी आकृति को बनाए रखती है।

 

नीचे कुछ स्थितियाँ दी हैं जो एड़ियों में दर्द का कारण बन सकती हैं:

  • प्लांटर फैशीआइटिस
  • एच्लीस या फ्लेक्सर टेंडनाइटिस/टेंडोनोसिस
  • हड्डी के स्पर्स
  • सेवर्स रोग
  • बर्साइटिस
  • स्ट्रेस फ्रैक्चर
  • टेंडन में सूजन 

 

एड़ी के दर्द के सटीक कारण का पता करने के लिए एक चिकित्सा मूल्यांकन की आवश्यकता होती है ताकि दर्द का उचित उपचार आरंभ किया जा सके। एड़ी का दर्द चलने या दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में कठिनाई पैदा कर सकता है।

 

एड़ी का दर्द कहाँ शुरू होता है?

 

आप एड़ी के किसी भी स्थान पर दर्द, कष्ट, या संवेदनशीलता महसूस कर सकते हैं। आमतौर पर दर्द निम्नलिखित स्थानों पर महसूस होता है:

  • एड़ी के पीछे
  • एड़ी के नीचे
  • एड़ी की हड्डी के अंदर 

 

किसी भी उम्र के लोग एड़ी के दर्द से पीड़ित होते हैं, लेकिन कुछ वर्गों में इसका जोखिम बढ़ जाता है:

  • मध्यम आयु वर्ग के पुरुष और महिलाएँ
  • शारीरिक रूप से अतिसक्रिय लोग
  • वे व्यक्ति जो ज़्यादा वजन या मोटापे के शिकार होते हैं
  • लंबे समय तक दिनभर खड़े रहने वाले लोग
  • 8-13 वर्ष के बीच के बच्चे
  • गर्भवती महिलाएँ

 

एड़ी के दर्द के लक्षण

 

व्यक्ति में एड़ी के दर्द के लक्षणों में दर्द के अलावा अन्य लक्षण भी महसूस हो सकते हैं, जैसे कि:

  • एड़ी की हड्डी की वृद्धि
  • एड़ी का रंग बदलना (नीलिमा या लालिमा आना)
  • अकड़न
  • सूजन
  • संवेदनशीलता
  • आराम के बाद बैठे होने या खड़े होने के बाद दर्द का अनुभव होना 

 

एड़ी के दर्द के कारण

 

एड़ी के दर्द के प्रमुख कारणों में पैर पर बहुत दबाव और तनाव मुख्य हैं। इसके अलावा कई अन्य कारक भी एड़ी में दर्द का कारण हो सकते हैं जैसे कि चाल-चलन का तरीका (foot mechanics) और पैर की संरचना। इनमें से कुछ कारक निम्न हैं:

  • असामान्य चलने का तरीक़ा 
  • मोटापा
  • खराब फिटिंग वाले जूते
  • कठोर सतहों पर खड़े होना, दौड़ना या कूदना
  • एड़ी पर चोट
  • बर्साइटिस
  • न्यूरोमा (नस्सों का विस्तार)
  • मधुमेह और गठिया जैसे कुछ विकार
  • पैर और एड़ी में गठिया
  • फ्लैट फीट या पैर का ऊँचा आर्च
  • एच्लीस टेंडनाइटिस: एच्लीस टेंडन एक रेशेदार ऊतक होता है जो पिंडली की मांसपेशी (calf muscle) को एड़ी की हड्डी से जोड़ता है। यह आपके शरीर का सबसे लंबा और मजबूत टेंडन होता है और इसका अधिक उपयोग सूजन का प्रमुख कारण बनता है। आमतौर पर एथलीटस और बास्केटबॉल खिलाड़ी इस स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इसके कारण एड़ी के पीछे की ओर सूजन, दर्द और अकड़न हो सकती है।
  • बर्साइटिस: बर्साइटिस बर्सा (तरल पदार्थ से भरी थैली) में सूजन के कारण होता है। इस स्थिति में, व्यक्ति को लंबे समय तक खड़े होने के बाद एड़ी के पीछे की ओर छूने में दर्द और नील महसूस हो सकता है।
  • हैगलंड विकृति: यह एड़ी के पीछे एक अस्थि वृद्धि है जो अधिक समय तक सूजन और परेशान करने वाले कारक की लगातार उपस्थिति के कारण होती है। उच्च एड़ी वाले जूते इस वृद्धि और दर्द को बढ़ा सकते हैं।
  • सेवर डिजीस (कैलकेनियल ऐपोफिसाइटिस): अधिकांशतः यह 8 से 14 साल के बच्चों में होती है। बच्चे दौड़ने और कूदने जैसी गतिविधियों में बहुत सक्रिय होते हैं। अत्यधिक एथलेटिक गतिविधियों के कारण बच्चों के एड़ी के प्लेट में बढ़ोतरी हो सकती है, जिसके कारण सेवर बीमारी होती है।
  • हड्डी में नील (bruise) या भीतरी चोट: कठोर, तीक्ष्ण वस्तु पर एड़ी रखे जाने के कारण एड़ी के नीचे मौजूद वसीय गद्दी पर नील पड़ सकता है। कई बार आपको रंग की पहचान स्पष्ट नहीं होगी, लेकिन एड़ी में संवेदनशीलता और दर्द महसूस होता है। सेवर डिजीस की वजह से भी एड़ी के नीचे, किनारों में, और पीछे की ओर दर्द हो सकता है।
  • प्लांटर फ़ैशिआइटिस: प्लांटर फ़ैशिआइटिस एड़ी में दर्द का प्रमुख कारण होता है। यह फ़ेसिया (संयोजी ऊतक जो पैर के की सतह में मौजूद होता है) के खिंचाव और फटने के कारण होता है। जोरदार दबाव पड़ने पर प्लांटर फ़ेसिया के लिगामेंट को क्षति हो सकती है, जिससे दर्द और अकड़न भी आ सकती है। दौड़ने और कूदने वाले लोगों में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है। ट्रेडमिल्स और कठोर सतहें इसका आम उत्तेजक होती हैं। समतल जूते प्लांटर फ़ेसिया में तनाव ला सकते हैं, जिससे फलस्वरूप इसमें सूजन और इंफ़्लमेड हो सकता हैं।
  • हील स्पर: एड़ी में लंबे समय तक प्लांटर फ़ैशिआइटिस के कारण अस्थि वृद्धि या हील स्पर विकसित हो सकता है।
  • स्प्रेन और स्ट्रेन: मोच और अकड़न आमतौर पर शारीरिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप होते हैं। घटना के आधार पर इनके लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं।
  • एंकाएलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस: यह पीठ को प्रभावित करने वाली एक प्रकार की गठिया होता है जिसमें वर्टब्री में गंभीर सूजन आ जाती है, जो क्रॉनिक दर्द और अक्षमता का कारण बन सकती है।
  • ऑस्टियोकोंड्रोसिस: यह स्थिति बच्चों और किशोरों में हड्डियों के विकास को प्रभावित करती है।
  • रिएक्टिव आर्थराइटिस: यह आर्थराइटिस शरीर के दूसरे हिस्से में उत्पन्न होने वाले संक्रमण के कारण उत्पन्न होता है। 

 

हील दर्द का निदान

 

आपके चिकित्सक आपके पैर की जांच कर के दर्द के सटीक कारण का निर्धारण करते हैं। आपका डॉक्टर आपसे कुछ सवाल जैसे चलने और खड़े रहने की अवधि, उपयोग किए जाने वाले जूते का प्रकार, और आपका चिकित्सा इतिहास पूछ सकते हैं।

 

इसके साथ-साथ डॉक्टर घुटने से लेकर सभी मांसपेशियों की जांच करेंगे और किसी असामान्य आकार या त्वचा में बदलाव की तलाश करेंगे। यह जाँच कोई वृद्धि, सोराइसिस और अन्य स्थितियों के बीच में अंतर का पता लगाने के लिए मदद करती है। हील को दबाने से नसों की समस्याओं, सिस्ट की मौजूदगी या स्ट्रेस फ्रैक्चर की पहचान की जा सकती है। एक एक्स-रे से आर्थराइटिस, हड्डी के फ्रैक्चर, एलाइनमेंट और जोड़ों में क्षति का पता किया जा सकता है। कभी-कभी डॉक्टर आपको एमआरआई या अल्ट्रासाउंड की सलाह भी दे सकते हैं, जिससे एक्स-रे में प्रकट नहीं होने वाली समस्याओं का भी पता लगाया जा सकता है।

 

हील दर्द के कारण होने वाली जटिलताएँ

 

एड़ी का दर्द आपकी कार्य क्षमता, चलने, घूमने, व्यायाम करने और दिनचर्या  की गतिविधियों को पूरा करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकता है। जब गतिविधि में कठिनाई होती है, तो यह गतिहीन जीवन शैली का कारण बन जाता है। वजन बढ़ना निष्क्रिय जीवनशैली का प्रमुख परिणाम होता है। इसके अलावा, डिप्रेशन और मोटापा आदि अन्य स्थितियाँ भी व्यक्ति में दिख सकती हैं। अनुपचारित एच्लीस टेंडोनाइटिस के कारण टेंडन के टूटने और फटने का जोखिम हो सकता है।

 

एड़ी दर्द का इलाज

 

आमतौर पर, एड़ी का दर्द गैर-सर्जिकल उपचार के साथ समय के साथ बेहतर हो जाता है। उपचार का मुख्य उद्देश्य दर्द और सूजन को कम करना, पैर के लचीलापन को बेहतर बनाना, और हील पर तनाव और दबाव को कम करने पर केंद्रित होता है। इन उपचारों में शामिल हैं:

  • व्यायाम:  पिंडली की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने वाले व्यायाम एड़ी के दर्द को कम करने और रिकवरी करने में मदद कर सकते हैं।
  • नंगे पैर चलने से बचें:  बिना जूते पहने चलने से आपके प्लांटर फैशिया पर अत्यधिक तनाव और दबाव पड़ता है।
  • बर्फ़ लगाना: दिन में कई बार एड़ी पर 20 मिनट के लिए बर्फ़ की सिकाई करने से सूजन कम हो सकती है। एड़ी की त्वचा पर सीधे बर्फ़ लगाने की बजाए अपनी हील और बर्फ़ के बीच एक पतला तौलिया रखना फायदेमंद होगा।
  • गतिविधियों को सीमित करें: अपनी एड़ी को आराम देने के लिए दौड़ने और उछलने जैसी शारीरिक गतिविधियों को कम करें।
  • जूतों में परिवर्तन: अच्छे आर्क सपोर्ट, हील लिफ्ट और शू इन्सर्ट वाले जूते एड़ी दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
  • दवाएँ: - मुँह से लिए जाने वाली गैर-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाएं (एनएसएआईडी) एड़ी के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं।
  • पैडिंग, टेपिंग और स्ट्रैपिंग: जूते में पैड डालने से एड़ी के दर्द में आराम मिल सकता है। टेपिंग और स्ट्रैपिंग भी फैशिया पर तनाव को कम करके पैर को आराम देते हैं।
  • ऑर्थोटिक उपकरण: जूते में फिट होने वाले विशेष ऑर्थोटिक उपकरण अंतर्निहित संरचनात्मक असामान्यताओं को सही करके पैर दर्द में आराम देते हैं।
  • इंजेक्शन थेरेपी: आपके डॉक्टर सूजन को कम करने और दर्द को आराम देने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन की सलाह दे सकते हैं।
  • नाईट स्पलिंट: नाईट स्पलिंट पहनने से कुछ मरीजों को एड़ी के सुबह के दर्द में कमी महसूस होती है।
  • फिजियोथेरेपी: - फ़िज़ियोथेरेपी के साथ मालिश और अल्ट्रासाउंड थेरेपी सॉफ्ट ऊतक के जुड़ाव (adhesion) को तोड़ती हैं। ये उपचार दर्द और सूजन को कम करते हैं। इसके अलावा, नियमित पैर और पैर की आर्च की मालिश भी मददगार होती है।
  • आपके डॉक्टर आपको बैठने और चलने के तरीक़े में बदलाव सुझा सकते हैं जिससे असंतुलन और चाल की असमान्यताओं के कारण होने वाले एड़ी के दर्द को सही किया जा सकता है। 

 

एड़ी के दर्द में सर्जरी कब आवश्यक होती है?

 

साधारणतः गैर-सर्जिकल उपचारों के साथ ही एड़ी के दर्द में सुधार होता है। लेकिन कुछ मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। अगर आप कई महीनों तक गैर-सर्जिकल उपचार के बावजूद भी हील दर्द में बार-बार परेशानी महसूस कर रहे हैं, तो आपको डॉक्टर सर्जरी का विकल्प भी सूझा सकते हैं। सर्जन आपके लिए कौन सा उपाय सबसे अधिक फायदेमंद होगा यह तय करने के लिए उनके साथ विभिन्न सर्जिकल विकल्पों पर चर्चा करेंगे।

 

आपको डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?

 

अगर आपको एड़ी में दर्द है, तो कुछ घरेलू उपचार जैसे आराम, बर्फ की सिकाई, और कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें ताकि लक्षणों को कम किया जा सके। यदि दो से तीन हफ्ते के बाद भी दर्द में सुधार नहीं होता है, तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श करना चाहिए।

 

आपको निम्न में से कुछ लक्षण महसूस हो रहे हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  • आपकी हील में सूजन है
  • हील में दर्द के कारण चलने में दिक़्क़त हो रही हो 
  • एड़ी में दर्द, सुन्नता या झुनझुनाहट महसूस होती है
  • हील में दर्द के साथ बुखार है
  • चलने में कठिनाई होना 
  • पैर को नीचे मोड़ने या पंजों के बल खड़े होने में कठिनाई होना 
  • एड़ी में दर्द एक सप्ताह से अधिक समय तक रहना 
  • एड़ी में दर्द बिना खड़े या बिना चले भी महसूस हो रहा है 

 

निष्कर्ष

 

एड़ी में दर्द आमतौर पर गैर-सर्जिकल उपचार के साथ समय के साथ सही हो जाता है। आपके डॉक्टर आपके दर्द के कारण के आधार पर यह निर्धारित करते हैं कि कौनसी स्ट्रेचिंग व्यायाम, आर्थोटिक्स, और अन्य तरीके आपके लिये सही रहेगा। सामान्यतः हील दर्द को अनदेखा करने और अपनी गतिविधियों को जारी रखने से एड़ी में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। अपने शरीर को ठीक होने और रिकवरी का समय देना महत्वपूर्ण है। यदि आप दर्द को नजरअंदाज करते हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों को जारी रखते हैं, तो आपको दीर्घकालिक हील दर्द की समस्या हो सकती है जो आपके जीवन को प्रभावित कर सकता है।

Dr. (LT. COL) Santosh Kumar Singh
Orthopaedics
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