प्रोस्टेट कैंसर: जोखिम, संकेत और लक्षण जो पुरुषों को पता होने चाहिए

प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर ऐसा कैंसर का प्रकार है जो केवल पुरुषों को प्रभावित करता है। यह तब बनता है जब प्रोस्टेट में असामान्य कोशिकाएँ बढ़ने लग जाती हैं और ट्यूमर बनाने के लिए एक साथ जमा होने लग जाती हैं। प्रोस्टेट एक अखरोट के आकार की ग्रंथि होती है जो पुरुष के मूत्राशय और लिंग के बीच स्थित होती है, यह शुक्राणुओं को पोषण और सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होती है।
2018 में भारत में, प्रोस्टेट कैंसर देश में सभी दर्ज किए कैंसर के मामलों में से 2 प्रतिशत से थोड़ा अधिक दर्ज हुआ था, जिसमें 25,696 नए मामले दर्ज हुए हैं।
प्रोस्टेट कैंसर को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है- एक आक्रामक (aggressive) और गैर-आक्रामक (non-aggressive) प्रकार। गैर-आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर के प्रकार में, ट्यूमर का आकार या तो बढ़ता नहीं है या बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। इसमें मरीजों को इलाज की बहुत कम या कोई आवश्यकता नहीं होती है। वही दूसरी और, आक्रामक प्रकार में, ट्यूमर तेज़ी से बढ़ सकता है और प्रोस्टेट के आसपास के अंगों और ऊतकों में भी फैल सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर होने के जोखिम कारक
प्रोस्टेट कैंसर के लिए उम्र एक प्रमुख जोखिम कारक होता है। भारत में, व्यक्ति की आयु पचास वर्ष होने के बाद ये बीमारी विकसित होने का जोखिम तेज़ी से बढ़ने लग जाता है। अन्य जोखिम वाले कारकों जैसे प्रोस्टेट कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों में यह कैंसर पचास वर्ष की आयु से भी पहले दिखाई दे सकता है।
जहां आयु और पारिवारिक इतिहास ऐसे जोखिम कारक हैं जिन्हें हम परिवर्तित नहीं कर सकते, वही दूसरी और कई प्रोस्टेट कैंसर के ऐसे भी जोखिम कारक होते हैं जिन्हें हम नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि:
- धूम्रपान
- खराब खान-पान
- मोटापा
- व्यायाम की कमी
BRCA1 या BRCA2 जैसे जीन (जो महिलाओं में स्तन कैंसर के लिए ज़िम्मेदार होते हैं) का पारिवारिक इतिहास भी प्रोस्टेट कैंसर के उच्च जोखिम में योगदान करता है।
प्रोस्टेट कैंसर के मुख्य लक्षण
अगर प्रोस्टेट कैंसर का पता इसके शुरुआती स्टेज में लग जाये (जब कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित हो), प्रोस्टेट कैंसर का इलाज आसानी से किया जा सकता है। परंतु प्रोस्टेट कैंसर तब तक महत्वपूर्ण संकेत नहीं दिखाता जब तक कि यह एडवांस स्टेज में आ जाए। इसीलिए इसका जल्द से जल्द पता लगाने के लिए निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान दें:
पेशाब करने में समस्या: - पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्राशय के ठीक नीचे स्थित होती है और मूत्रमार्ग को चारों तरफ़ से घेरे रहती है। प्रोस्टेट ग्रंथि में बनने वाला ट्यूमर मूत्राशय और मूत्रमार्ग पर दबाव डालकर पेशाब करने में दिक़्क़त कर सकता है। अक्सर पेशाब के साथ समस्या प्रोस्टेट कैंसर का सबसे प्रमुख संकेत होता है। व्यक्ति को निम्न समस्याएँ महसूस हो सकती हैं:
- पेशाब करने की लगातार और तत्काल आवश्यकता महसूस होना
- रात में बार-बार पेशाब आना
- पेशाब की धारा कमजोर होना या गति का सामान्य से धीमी होना
- पेशाब के दौरान दर्द महसूस होना
- पेशाब शुरू करने या रोकने में दिक्कत महसूस होना
- दर्द या सुन्नापन (numbness) महसूस होना
आक्रामक प्रकार के प्रोस्टेट कैंसर शरीर के अन्य भागों, विशेषकर हड्डियों में फैल सकता है। जिससे पेल्विक क्षेत्र, पीठ और छाती में दर्द हो सकता है। कुछ मामलों में, यह रीढ़ की हड्डी में भी फैल सकता है जिससे आपके पैरों और मूत्राशय में संकेत महसूस करने की क्षमता कम हो सकती है।
मूत्र या वीर्य में रक्त आना: - आपके मूत्र या वीर्य में रक्त आना प्रोस्टेट कैंसर का एक चेतावनी संकेत हो सकता है। यदि आपको आपके वीर्य या पेशाब में रक्त दिखता है तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
यौन संबंधी समस्याएँ: - प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में नपुंसकता या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण भी बन सकता है।
यह ध्यान रखें की ये सभी लक्षण प्रोस्टेट को प्रभावित करने वाली अन्य बीमारियों जैसे बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) और प्रोस्टेटाइटिस के कारण भी हो सकते हैं। ऊपर दिये गये इन लक्षणों के होने का मतलब यह नहीं है कि आपको प्रोस्टेट कैंसर ही है। इनको विस्तार से समझने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
प्रोस्टेट कैंसर के ख़तरे को कैसे कम करें?
प्रोस्टेट कैंसर के अपने जोखिम को कम करने के लिए आपको स्वस्थ और पौष्टिक आहार को आपके जीवनशैली में अपनाना चाहिए, इसमें टमाटर, क्रूसिफेरस सब्जियां (फूलगोभी और गोभी), हरी पत्तेदार सब्जियां, ओमेगा -3 फैटी एसिड (फैटी मछली और नट्स) और सोया से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए। अपना वजन नियंत्रित रखना और नियमित रूप से व्यायाम करना भी आपके प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है।
हर दूसरी बीमारी की तरह, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों के बारे में सचेत रहना और समय पर जाँच करवाना अति महत्वपूर्ण है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि पचास की उम्र के बाद आपको नियमित रूप से प्रोस्टेट कैंसर की जांच करवाते रहना चाहिए। अगर आपको ऊपर दिये गये इन लक्षणों का आभास होता है तो आप उपर्युक्त जोखिम कारकों की पहचान करने के लिये स्क्रीनिंग पहले भी करवा सकते है। अपने जोखिम कारकों और अपनी स्क्रीनिंग के नतीज़ों के बारे में अपने डॉक्टर से विस्तृत चर्चा करें। यह ध्यान रखें, अगर इसका समय पर पता चल जाए तो प्रोस्टेट कैंसर का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है।