डायलिसिस: वह सब कुछ जो आपको इससे पहले जानना आवश्यक है
आपकी किडनी उत्सर्जन अंग होती हैं जो अपशिष्ट उत्पादों को प्रभावी ढंग से फ़िल्टर करने और हमारे शरीर में तरल पदार्थों के नियंत्रण में एक अहम भूमिका निभाती हैं। क्रोनिक किडनी डैमेज (सीकेडी) जैसी बीमारियों के कारण किडनी को होने वाली कोई भी क्षति पोटेशियम और सोडियम जैसे प्रमुख शारीरिक रसायनों के नाजुक संतुलन को प्रभावित कर सकती है और इसके साथ ही आपके रक्तचाप और हार्मोन के स्तर पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
जिन लोगों की किडनी पूरी तरह से रक्त फ़िल्टर करना बंद कर देती है, उन्हें आमतौर पर डॉक्टर डायलिसिस नामक प्रक्रिया की सलाह देते हैं। इस जीवन-रक्षक प्रक्रिया की कार्यप्रणाली, जोखिमों और लाभों के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें।
डायलिसिस क्या है?
आसान भाषा में डायलिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जो उन कार्यों को यांत्रिक रूप से पूरा करती है जो पहले आपकी किडनी द्वारा पूरे किए जाते थे। यह प्रक्रिया आपके रक्त में मौजूद सभी अपशिष्ट उत्पादों को फ़िल्टर करने के साथ-साथ आपके शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए एक फ़िल्टर उपकरण का उपयोग करती है। नीचे तीन प्रमुख डायलिसिस तकनीकें बताई हैं जिन्हें आपका चिकित्सक आपके कारकों के आधार पर सूझा सकता है:
- हीमोडायलिसिस - यह सबसे आम सुझाई गई डायलिसिस प्रक्रिया होती है, इस तकनीक में एक कृत्रिम किडनी मशीन या हेमोडायलाइज़र आपके उत्सर्जन कार्यों को पूरा करती है। इस प्रक्रिया में आपके सारे रक्त को एक बाहर मौजूद मशीन से निकाला जाता है जो कुछ घंटों में आपके पूरे रक्त को साफ कर देती है। आमतौर पर हेमोडायलिसिस अस्पताल में किया जाता है, लेकिन गंभीर स्थिति वाले मामलों में जिन्हें लंबे समय तक डायलिसिस की आवश्यकता होती है, घर पर भी किया जा सकता है।
- पेरिटोनियल डायलिसिस - पेरिटोनियल डायलिसिस में आपके पेट की पेरिटोनियम झिल्ली में आपके रक्त को फ़िल्टर करने के लिए पेरिटोनियल डायलिसिस कैथेटर (पीडी कैथेटर) का सर्जिकल प्रत्यारोपण किया जाता है। इस प्रक्रिया में डायलीसेट नामक एक तरल पदार्थ को आपके पेरिटोनियम में पंप किया जाता है (आपके रक्त से अपशिष्ट को अवशोषित करने के लिए) और एक निकासी बैग में बाहर निकाला जाता है (आपके पेट के माध्यम से)। इस प्रक्रिया को पूरा होने में कुछ घंटों की आवश्यकता होती है और इसे एक ही दिन में 4-6 बार दौहराने की आवश्यकता होगी।
- कंटीन्यूअस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (सीआरआरटी) - इसे हेमोफिल्ट्रेशन भी कहते है, यह प्रक्रिया आमतौर पर गंभीर रूप से बीमार लोगों को सुझाई जाती है जो एक्यूट किडनी डिसफंक्शन के कारण अस्पताल की गहन देखभाल इकाइयों (ICU) में भर्ती हों। इस प्रक्रिया में अपशिष्ट उत्पादों के उत्सर्जन के लिए अपशिष्ट पदार्थों युक्त रक्त को अर्धपारगम्य फ़िल्ट्रेशन झिल्ली से लगातार गुजारने की आवश्यकता होती है। फिर मशीन एक आवश्यक प्रतिस्थापन तरल पदार्थ रुधिर में जोड़ देती है और रोगी के शरीर में रक्त को फिर से प्रसारित करती है। यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है जो 12 से 24 घंटे तक चल सकती है।
डायलिसिस का सुझाव कब दिया जाता है?
यदि आप क्रोनिक किडनी रोग जैसी स्थितियों से पीड़ित होते हैं तभी डॉक्टर आमतौर पर डायलिसिस का सुझाव देते हैं, और यह नियमित रूप से दुनिया भर के अस्पतालों में किया जाता है। यह ध्यान रखना भी आवश्यक होता है कि आप पर इस प्रक्रिया के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे:
- निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन
- खून की कमी
- पेट में ऐंठन होना
- पीठदर्द
- बुखार
- अनिद्रा
- वजन बढ़ना
और, यह जानना भी आवश्यक है कि डायलिसिस आमतौर पर तब तक किया जाता है जब तक कि आपकी किडनी फिर से सही ढंग से काम न करने जाए, लेकिन यदि आप क्रोनिक किडनी डैमेज (सीकेडी) से पीड़ित हैं तो कभी-कभी यह जीवन भर भी करना पड़ सकता है।
यदि आपको कमजोर किडनी के स्पष्ट संकेत जैसे पेशाब करने में दिक़्क़त, लगातार मतली, सांस लेने में कठिनाई या आपके हाथ या पैर में एडिमा (सूजन) दिखाई देते हैं, तो अपनी किडनी को होने वाली स्थायी क्षति से बचाने के लिए तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
This blog is a Hindi version of an English-written Blog - Dialysis: All You Need To Know